नमिता बिष्ट
सर्दी ने दस्तक दे दी है। ठंडी हवाएं चलनी शुरू हो चुकी हैं। इस मौसम में इन्फेक्शन और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में वन्यजीवों को ठंड से बचाने के लिए नैनीताल जू प्रशासन ने पूरी व्यवस्था कर ली है। जू में वन्यजीवों के रहने की व्यवस्था से लेकर उनके डायट प्लान का विशेष ख्याल रखा गया है। ताकि वन्यजीव ठंड से बीमार न पड़े।
जू में वन्यजीवों का बदला गया डायट प्लान
दरअसल देश के खूबसूरत हिल स्टेशन नैनीताल स्थित जू के वन्यजीवों का डायट प्लान बढ़ते ठंड के कारण बदला गया है। यहां मौसम की मार और बीमारियों से बचाने के लिए वन्यजीवों की गर्म तासीर का भोजन परोसा जा रहा है। यही नहीं वन्यजीवों की डाइट बढ़ाने के साथ मल्टीविटामिन भी दिया जा रहा है।
बाघ के बाड़े में लगाया गया ब्लोवर
नवंबर बीतने के साथ ठंड बढ़ती जा रही है। लिहाजा जू के वन्यजीवों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। वन्यजीवों को बचाने के लिए फर्श पर हल्दू के पत्ते बिछाने के साथ ही बाड़ों को तिरपाल से ढका गया है। वहीं बाघ और अन्य जीवों के बाड़ों में ब्लोवर लगाकर ठंड दूर की जा रही है।
भालू को दिए जाने वाले शहद की मात्रा बढ़ाई
जू में वन्यजीवों के भोजन की मात्रा बढ़ाने के साथ ही गर्म तासीर का भोजन परोसा जा रहा है। पहले बाघ को रोजाना आठ किलो मांस दिया जाता था, जो बढ़ाकर दस किलो कर दिया गया है। साथ ही रोजाना दो अंडे भी बाघ को परोसे जा रहे हैं। वहीं भालू को दिये जाने वाले शहद की मात्रा बढ़ाकर प्रतिदिन 100 ग्राम कर दी गई है।
हर साल 2 बार बदला जाता है डाइट प्लान
सर्दी के मौसम में नैनीताल जू में वन्यजीवों के डाइट प्लान का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह डाइट प्लान हर साल दो बार बदला जाता है। बता दें कि नैनीताल में ठंड बढ़ने लगी है। ऐसे में जू में मौजूद वन्य जीवों को हाईपोथर्मिया की शिकायत न हो इसके लिए जू प्रबंधन पूर्व से ही इंतजामों में जुट गया है। जू चिकित्सक डॉ. हिमांशु पांगती ने बताया कि साल में दो बार जीवों के खानपान में बदलाव किया जाता है।
उत्तर भारत का एकमात्र हाई एल्टीट्यूट जू
खूबसूरत नैनीताल जू 11 एकड़ भूमि पर स्थापित किया गया है। इसे गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। समुद्रतल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जू को उत्तर भरत का एकमात्र हाई एल्टीट्यूट जू माना जाता है।
1995 में खुला था पर्यटकों के लिए
नैनीताल जू का निर्माण कार्य साल 1984 में शुरू हुआ और साल 1995 में इसे आम लोगों के लिए खोला गया। यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में दुनिया भर से सैलानी पहुंचते हैं। इस जू में बंगाल टाइगर, जापानी मकाउ, तिब्बती भालू, बार्किंग डियर, सांभर, चीता, बाघ, तेंदुआ पांडा जैसे दर्जनों वन्यजीवों और पक्षियों को रखा गया है। यह जू सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 4:30 बजे तक सप्ताह में सोमवार के अलावा अन्य सभी दिनों को खुला रहता है।
कई वन्य जीवों ने पूरी की औसत आयु
बता दें कि पर्यटकों के लिए खुलने के बाद जू में लगातार प्राणियों की संख्या वृद्धि को लेकर कवायद होती रही। जिस कारण कुछ समय पूर्व तक यहां विभिन्न प्रजातियों के 231 वन्यजीव हुआ करते थे। लेकिन औसत आयु पूरी कर चुके कई जीवों की अब मौत हो चुकी है।
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