नमिता बिष्ट
हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। यह दिन विश्व स्तर पर प्रसिद्ध सूक्ष्म जीवविज्ञानी और रासायनिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के मौके पर मनाया जाता है। लुईस पाश्चर ने पहली बार रेबीज का टीका तैयार कर मेडिकल फिल्ड को एक सुरक्षा कवच दिया था। रेबीज के रोकथाम के लिए विश्व रेबीज दिवस के जरिये इसके बारे में लोगों में जागरूकता लाई जाती है। तो चलिए जानते है आज ‘विश्व रेबीज दिवस’ के अवसर पर इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें…..
फ्रांस से हुई थी शुरुआत
इस दिन को मनाने की शुरुआत फ्रांस से हुई थी। दरअसल फ्रांस के प्रसिद्ध सूक्ष्म जीवविज्ञानी और रासायनिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के अवसर पर यह ‘विश्व रेबीज दिवस’ मनाया जाता है। लुई पाश्चर वही है जिन्होंने रेबीज के टीके की खोज की थी। आज यह टीका जानवरों और इंसानों के लिए अहम भूमिका निभा रही है। इसके इस्तेमाल से इंसानों में रेबीज के खतरे को कम किया जा सकता है।
2007 से मनाया जाता है यह दिवस
विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था। यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर एलायंस फार रेबीज कंट्रोल और सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, यूएसए के सहयोग से हुआ था। दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभाव से बड़ी संख्या में लोगों के पीड़ित होने के बाद इन संगठनों ने इस दिन का पालन करना शुरू किया था।
विश्व रेबीज दिवस का महत्व क्या है?
इस दिन को मनाने का उद्देश्य रेबीज के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इस बीमारी के रोकथाम को बढ़ावा देना है। साथ ही रेबीज के टीके के बारे में बताना की रेबीज के टीके के माध्यम से इस बीमारी से लोगों की जान बचाई जा सकती है। बता दें कि यह रेबीज़ की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने का एकमात्र वैश्विक दिन है।
इन जानवरों के काटने से फैलता है वायरस
रेबीज एक जूनोटिक वायरस है जो आमतौर पर शरीर में जानवरों के काटने के बाद प्रवेश करता है। दरअसल कुत्ता, बिल्ली, बंदर, नेवला, लोमड़ी, सियार या अन्य जंगली जानवरों के काटने से रेबीज भी हो सकता है। इसके अलावा अगर किसी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो उससे भी रेबीज हो जाता है। जानवरों के द्वारा चाटने, नाखून मारने से भी रेबीज हो सकता है। इसके लक्षण दिखने में काफी समय लग जाता है और देर होने पर यह जानलेवा भी होता है।
ये है 2022 की थीम
इस साल 16वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जा रहा है। इस साल की थीम ‘रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्स’ है। यह विषय मनुष्यों और जानवरों के बीच संबंधों को बढ़ाने के बारे में है। बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एशिया और अफ्रीका में इस जूनोटिक बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है। भारत में रेबीज के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। दुनिया में रेबीज के 36 फीसदी मामले भारत में होते हैं।
रेबीज के संक्रमण से बचाव व रोकथाम
रेबीज जानलेवा बीमारी है। लेकिन समय पर इलाज करवाकर और एंटी-रेबीज का टीका लगवाकर जान बचाई जा सकती है। बता दें कि रेबीज के 97 प्रतिशत मामले संक्रमित कुत्ते के काटने के कारण होता है। कुत्ते के काटने के 72 घंटे के भीतर एंटी-रेबीज वैक्सीन अवश्य लगवा लेना चाहिए। इस 72 घंटे में वैक्सीन नहीं लगवाने से व्यक्ति रेबीज की चपेट में आ सकता है। जंगली जानवर के काटने पर यदि घाव अधिक गहरा नहीं हो तो उसे साबुन से कम से कम 15 मिनट तक धोना चाहिए। इसके बाद बीटाडीन से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और घाव को ढंकना नहीं चाहिए। अगर घाव अधिक गहरा हो तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह से उसकी साफ-सफाई करवानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंटी रैबीज का टीका लगवाना चाहिए। लेकिन उपचार के दौरान सावधान रहें, किसी भी तरह के नशे का सेवन न करें।