Jaipur: जयपुर के मशहूर रजाई उद्योग पर मंडरा रहे संकट के बादल

Jaipur: दुनिया भर में मशहूर जयपुरी रजाई बनाने वाला जयपुर का रजाई उद्योग इन दिनों दिक्कत का सामना कर रहा है, एक समय था जब कपास से बनी जयपुरी रजाई को उनकी गुणवत्ता और हल्के वजन की वजह से देश और विदेश में कई खरीददार मिलते थे। हालांकि अब कई वजहों से इसकी बिक्री कम हो गई है, जिससे व्यवसाय से जुड़े कारीगरों की रोजी रोटी पर असर पड़ रहा है।

रजाई की जरूरत सिर्फ सर्दियों में पड़ने की वजह से इसके कारीगरों को हमेशा रखना मुश्किल होता है जिससे इसके कुशल कारीगर मिलने में दिक्कत होती है। वहीं कुछ दुकानदार रुई से बनी रजाइयों की बिक्री में गिरावट के लिए सिंथेटिक फाइबर से बनी रजाईयों के चलन को भी जिम्मेदार मानते हैं।

व्यापारियों के मुताबिक रजाई इंड़स्ट्री जयपुर में करीब 250 साल पुरानी है। एक दशक पहले करीब 25,000 कारीगर परिवार इसमें लगे हुए थे लेकिन अब महज 10,000 से भी कम परिवार इस धंधे से जुडे हुए हैं। दुकानदारों का कहना है कि “एक साइज में इसका वजन लगभग 300-350 ग्राम होता है। यह बहुत हल्का है इसलिए इसे ले जाना आसान है। प्रसिद्ध रजाई को 100 ग्राम रजाई कहा जाता है। जब आप इसका इस्तेमाल करेंगे तो आपको गर्माहट महसूस होगी यही इसका गुण है। कोविड से पहले कारोबार सामान्य था, हालांकि कोविड के बाद बिक्री ऑनलाइन मोड और निर्यात पर आ गई है।”

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उन्होंने बताया कि “जिन श्रमिकों को अपना परिवार चलाने के लिए नियमित कार्य नहीं मिलता, वे अन्य नौकरियों में शिफ्ट हो जाते हैं जिससे उन्हें रोज का काम मिले और उनका घर चले। इस बिजनेस में 4-5 महीने तक काम होता है उसके बाद सीजन खत्म हो जाता है। फिर कर्मचारी दूसरी नौकरियां खोजने की कोशिश करते हैं और फिर गुणवत्ता ख़राब होने लगती है।”

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