Gujarat: भविष्य की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गुजरात सौर ऊर्जा नीति लागू की। हालांकि गुजरात की सौर ऊर्जा नीति शुरू होने से बहुत पहले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2012 में गुजरात की सौर क्षमता पर ध्यान दिया था।
गुजरात की सौर ऊर्जा नीति का लक्ष्य औद्योगिक बिजली की लागत को 50 प्रतिशत तक कम करना है। इससे पूरे गुजरात में असीमित सौर परियोजनाओं की संभावना बढ़ जाएगी। एक्यूरा ट्रेड लिंक के निदेशक करण डांगायच ने गुजरात में नई सौर नीति की घोषणा की तारीफ की है और इसका श्रेय गुजरात की छवि को फिर से परिभाषित करने वाले वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन को दिया है।
नीति के तहत सौर परियोजना के आकार की सीमा हटा दी गई है। इससे बिजली उत्पादन के लिए लोगों को अपनी छतें पट्टे पर देने की अनुमति मिलती है। छोटी सौर परियोजनाओं को और बढ़ावा देने के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट को 25 लाख रुपये प्रति मेगा वाट से घटाकर पांच लाख रुपये प्रति मेगा वाट कर दिया गया है।
नई सौर ऊर्जा नीति से आवासीय उपभोक्ताओं और एम-एस-एम-ई को हर यूनिट पर 1.77 रुपये से 3.78 रुपये तक की बचत होगी। मोढेरा भारत का सौर ऊर्जा से चमकने वाला पहला गांव है। ये गुजरात की सोलर पॉलिसी का सुनहरा उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में मोढेरा में सौर सफलता का जिक्र किया था।
सौर ऊर्जा नीति उद्योगों और राज्य के निवासियों से हरा-भरा, ज्यादा विकसित प्रदेश बनाने का गुजरात सरकार का एक और संकल्प है। निदेशक करण डांगायच का कहना है कि “मुझे लगता है कि वाइब्रेंट गुजरात की गिनती अब पूरे देश में हो रही है, और इससे गुजरात मॉडल और हम गुजरात के बारे में जो सोच रहे हैं उसे पूरे देश में फैलाने में भी मदद मिल रही है। नई नीति से आप पूरे 24 घंटों के लिए खपत को बंद कर सकते हैं। तो ये एक बड़ा बदलाव है, जिसे लेकर हर क्षेत्र से सकारात्मक फीडबैक मिला है।”