क्रौंच पर्वत पर छिपा है भगवान कार्तिक का रहस्यमयी भंडार

उत्तराखंड में पोखरी-गोपेश्वर मोटर मार्ग पर रुद्रप्रयाग से करीब 36 किमी की दूरी तय करने के बाद कनकचौरी नामक हिल स्टेशन तक बस या निजी वाहनों से पहुंचते हैं, जिसके बाद लगभग पौने चार किमी की हल्की चढ़ाई चढ़ने के बाद कार्तिक स्वामी तीर्थ में पहुंचा जाता है.दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को बाल्य रूप में छह तीर्थों में पूजा जाता है. मगर उत्तराखंड में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र तीर्थ क्रौंच पर्वत पर विराजमान है. क्रौंच पर्वत के आंचल तथा प्रकृति की अत्यंत सुरम्य वादियों में बसे उसनतोली बुग्याल के निकट बीहड़ चट्टान पर एक गुफा में भगवान कार्तिक स्वामी का प्राचीन भंडार है. हालांकि भंडार की अत्यधिक ऊंचाई के कारण इसके दर्शन करना दुर्लभ है. ऐसी मान्यता है कि इस भंडार से एक मार्ग कुबेर पर्वत को जाता है. युगों पूर्व इस भंडार के दर्शन भगवान कार्तिक स्वामी के दो परम उपासक ही कर पाए थे. ऐसी मान्यता है कि बीहड़ चट्टानों के बीच इस भंडार में भगवान कार्तिक स्वामी के अनमोल बर्तन हैं. भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत तीर्थ अनेक विशेषताओं से भरा है. तीर्थ के चारों और 360 गुफाएं और जलकुंड

360 गुफाओं के साथ हैं 360 जलकुंड

इस तीर्थ के चारों तरफ 360 गुफाओं के साथ 360 जलकुंड भी हैं. इन गुफाओं में आज भी अदृश्य रुप में साधक जगत कल्याण के लिए साधना करते हैं. क्रौंच पर्वत तीर्थ से लगभग तीन किमी दूर प्रकृति की गोद में बसा उसनतोली बुग्याल के पास बीहड़ चट्टान के मध्य भगवान कार्तिक स्वामी के प्राचीन भंडार की अपनी विशिष्ट पहचान है. मान्यता के अनुसार इस भंडार में भगवान कार्तिक स्वामी का अमूल्य भंडार है. इसलिए इस जगह का नाम भंडार पड़ा.

क्या है मान्यता?

स्थानीय लोक मत के अनुसार आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व उसनतोली बुग्याल में एक पशुपालक रहता था. वह हमेशा भगवान कार्तिक स्वामी की भक्ति में समर्पित रहता था. एक दिन भगवान कार्तिक स्वामी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें सपने में प्राचीन भंडार के दर्शन करवाये. एक और मान्यता है कि युगों पूर्व एक नेपाली साधक अपनी तपस्या के बल पर भंडार के दर्शन कर चुका था. इनके अलावा आज तक तीसरे व्यक्ति ने इस भंडार के दर्शन नहीं किये.

स्थानीय मतानुसार पूर्व में जब भगवान कार्तिक स्वामी की देवता पूजा करते थे तो इस भंडार से तांबे के बर्तन निकाल कर अनेक पकवान बनाये जाते थे. पकवान बनाने के बाद पुनः बर्तनों को भंडार में रखा जाता था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस प्राचीन भंडार में असंख्य धातुओं का भंडार है, जिसका अनुमान आज तक नहीं लगाया जा सका है. कार्तिक स्वामी मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी बताते हैं कि भगवान कार्तिक स्वामी के भंडारे के दिव्य दर्शन करने का सौभाग्य किसी-किसी को मिलता है.

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