Karur stampede: क्या भीड़ प्रबंधन ना होना बना इतनी बड़ी त्रासदी की वजह? जानें विशषज्ञों की राय

Karur stampede: तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर की वो भयावह रात.. जब नेता विजय की रैली में हुई भगदड़ ने 40 से ज्यादा लोगों को हमेशा के लिए नींद के आगोश में सुला दिया। इस भगदड़ ने राज्य ही नहीं पूरे देश को हिलाकर रख दिया कि कैसे एक सामूहिक समारोह कुछ ही सैकेंड में जानलेवा बन गया। करूर में हुई ये घटना कई सवाल तो खड़े करती ही है साथ ही सोचने पर भी मजबूर करती है कि आखिर ऐसी घटनाएं हो क्यों जाती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि दहशत अक्सर गलत सूचना से शुरू होती है जिसमें एक अफवाह होती है। एक अचानक पैदा हुआ डर होता है, जो पूरी की पूरी भीड़ में भ्रम पैदा कर देता है।

सवाल ये है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। विशषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संचार माध्यम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें लाउडस्पीकरों के ज़रिए स्पष्ट निर्देश देना, मोबाइल फोन पर समय पर अलर्ट पहुंचाना और जमीनी स्तर पर लोगों को उचित मार्गदर्शन देना, ये सभी उपाय ऐसी त्रासदियों को रोकने में मददगार हो सकते हैं।

हालांकि इन संचार माध्यमों पर अलर्ट देने के बावजूद कभी कभी भीड़ बेकाबू हो जाती है, ऐसे में सावधानी एक मात्र रास्ता बचता है और इसलिए आयोजकों को आपातकालीन स्थिति को ध्यान में रखकर भी पहले से अपनी प्लानिंग करनी चाहिए और सुरक्षा बढ़ाने जैसे फैसलों पर भी फोकस करना चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है, हर एक त्रासदी एक ही सबक सिखाती है, कि पहले से सुरक्षात्मक तैयारी हर ऐसी घटना को टाल सकती है। आयोजकों को पिछली घटनाओं से सीखना, संचार माध्यमों में सुधार करना और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को मजबूत करना ही ऐसी घटनाओं को रोकना एकमात्र उपाय है।

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