Rajasthan: भारी बारिश से जयपुर के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ आ गई है। आनंदपुरा, अजमेरपुरा और मंडलियां मैदा समेत 30 से ज़्यादा गांव पानी पानी हो गए हैं। शहर से कटे और उफनती ढूंढ नदी से अलग-थलग पड़े ग्रामीणों को अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी अस्थायी उपायों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
कई लोगों के लिए ट्रैक्टर जीवन रेखा बन गए हैं क्योंकि सड़कें बह जाने के कारण ट्रैक्टर ही गांवों में आने-जाने का एकमात्र साधन रह गए हैं, ग्रामीणों का कहना है कि मदद के लिए बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उनकी फरियाद कोई नहीं सुन रहा है। बाढ़ का पानी घरों में घुसता जा रहा है, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई है। परिवार अब लगातार डर में जी रहे हैं, उन्हें यकीन नहीं है कि उनके घर लगातार बढ़ते पानी को झेल पाएंगे या नहीं।
कई ग्रामीणों के लिए आम जीवन जीना भी काफी मुश्किल हो गया है क्योंकि भोजन, साफ पानी और सुरक्षित छत हर किसी को मयस्सर नहीं है। स्थानीय अधिकारी स्थिति की गंभीरता को स्वीकार तो कर रहे हैं लेकिन इसकी वजह रुकी हुई नालियों और खेती करने के तरीकों को बता रहे हैं। जैसे-जैसे बाढ़ का पानी बढ़ता जा रहा है, लोगों का डर भी बढ़ता जा रहा है। वह ऐसी तबाही को फिर से होने से रोकने के लिए सरकार से स्थायी समाधान की गुहार लगा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि “भारी बारिश के कारण पानी अंदर आ जाता है। पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण ऐसा हर बार होता है। हम सभी बच्चे और यहां के लोग परेशान हैं, रात से ज़ोरदार बारिश हो रही है। हम क्या करें? हमारा चूल्हा पानी में डूब गया है, खाना कैसे बनाएं और क्या खाएं?”
“हम तो इन्हीं चारपाइयों पर सोते हैं, हमारे पास और कोई चारा भी नहीं है। करीब 10-20 घर पानी में डूबे हुए हैं और हमें बहुत तकलीफ हो रही है, चारों तरफ पानी भरा हुआ है। हमारे पास खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। जानवरों को खिलाने का कोई इंतजाम नहीं है। हम किसी भी तरफ से निकल नहीं सकते। हमारा रास्ता पूरी तरह से बंद है। अब क्या करें साब?”
“इसका कोई स्थायी समाधान होना चाहिए। तभी हमारा जीवन खुशहाल हो सकता है। मेरा पूरा परिवार पानी से घिरा हुआ है, और हम बीच में हैं। खाने-पीने की चीजों में पानी भर जाता है। पहले हम पानी निकालते हैं, फिर बाद में खाना-पीना बनाते हैं। चारों ओर पानी ही पानी है। हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। हम उनकी भी देखभाल करते हैं। सर, बाढ़ की वजह से जानवरों को चारा मिलने में दिक्कत होती है।”
प्रह्लाद, नायब तहसीलदार “पानी तो वास्तव में भरा हुआ है। मैंने भी सभी इलाकों का मुआयना किया है। जहां-जहां लोगों ने बताया, मैं वहां-वहां जाकर देखा। दो-तीन घर भी पानी में डूबे हुए थे। हमने उनसे कहा कि आप लोग यहां शिफ्ट हो जाइए। पंचायत ने भी लिखकर दे दिया है कि जब तक पानी है, तब तक आप लोग शिफ्ट हो जाइए क्योंकि घर कभी भी गिर सकते हैं। समाधान सर पहले दिक्कत हुई थी, जब उन्होंने पानी निकलने के लिए सड़क काट दी थी। अब आगे नाला है, उसके दोनों तरफ खेत हैं। किसानों ने मिट्टी उखाड़कर उसे समतल कर दिया है। नतीजा ये हुआ कि वो नाला भी दब गया मिट्टी के अंदर।”