Rajasthan: राजस्थान के ब्यावर जिले के बिजयनगर थाना क्षेत्र में नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व वार्ड पार्षद हकीम कुरैशी समेत चार आरोपियों को अजमेर की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने कुरैशी को पांच दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया, जबकि तीन अन्य आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस ने बताया कि बिजयनगर में नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर करने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है। अजमेर के पुलिस महानिरीक्षक ओम प्रकाश ने कहा, “मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है। चार आरोपियों को आज अदालत में पेश किया गया। अदालत ने इनमें से तीन को जेल भेज दिया, जबकि पूर्व वार्ड पार्षद को रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया।”
ये मामला लगभग 10 दिन पहले तब सामने आया था, जब एक नाबालिग लड़की के पिता के पर्स से 2,000 रुपये गायब हो गए थे। नाबालिग के पिता ने अपनी बेटी से पूछताछ की, तो उसने एक आरोपी को पैसे देने के लिए पर्स से पैसे चुराने की बात कबूली। बाद में लड़की की मां को अपनी बेटी के स्कूल बैग में एक चाइनीज मोबाइल फोन मिला, जिससे पता चला कि वह एक मुस्लिम युवक के संपर्क में थी। लड़की की बहन, जो नाबालिग है, उसके भी एक अन्य मुस्लिम युवक के संपर्क में होने की बात सामने आई। दोनों युवकों ने लड़कियों से अपनी अंतरंग मुलाकातों का वीडियो बना लिया था और उन पर रिश्ता जारी रखने के लिए दबाव डाल रहे थे।
घटना के सामने आने के बाद से ब्यावर जिले के बिजयनगर कस्बे और आस-पास के इलाकों में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है। पुलिस के मुताबिक, पिछले हफ्ते बिजयनगर पुलिस थाने में पांच अन्य नाबालिग लड़कियों के परिजनों से ऐसी शिकायतें मिलीं, जिसके बाद 10 लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गईं। लड़कियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट और मोबाइल डेटा की फोरेंसिक रिपोर्ट लंबित है।
पुलिस के अनुसार, ज्यादातर गिरफ्तार आरोपित हिंदुओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों में मजदूरी करते हैं। उसने कहा कि आरोपित पीड़ित लड़कियों को स्कूल से लौटते समय रास्ते में रोकते थे और एक कैबिन कैफे में ले जाते थे, जो उनसे 200 रुपये प्रति घंटे शुल्क लेता था। पुलिस ने इस अपराध में किसी बड़े संगठित गिरोह के शामिल होने की संभावना से इनकार किया है। पुलिस अन्य आरोपितों और उन्हें संरक्षण देने वालों की तलाश में जुटी है।
साल 1992 में अजमेर में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जहां 100 से अधिक लड़कियों को एक गिरोह ने निशाना बनाया था। गिरोह के सदस्यों ने लड़कियों से दोस्ती कर आपत्तिजनक परिस्थितियों में उनकी तस्वीरें खींची थीं और फिर उनके साथ बलात्कार किया था। अजमेर की एक पॉक्सो अदालत ने इस मामले में गिरफ्तार कुल 18 आरोपितों में कई को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।