Ghevar: उत्तर भारत के बड़े हिस्से और खासकर राजस्थान में उत्सवों और त्योहारों की बात करें तो घेवर कोई साधारण मिठाई नहीं है। इसकी तो बात ही अलग है, घेवर एक गोल आकार की राजस्थानी मिठाई है जिसकी बनावट मधुमक्खी के छत्ते जैसी होती है। यह मिठाई हरियाली तीज जैसे त्योहारों के दौरान होने वाले पारंपरिक उत्सवों का खास हिस्सा है।
हरियाली तीज के करीब आते ही पूरे राजस्थान में मिठाई की दुकानें खरीदारों से गुलजार हैं। और जो मिठाई सबसे ज्यादा बिक रही है, वो घेवर ही है। मैदा, घी, दूध और चीनी से बना घेवर सावन के महीने में खास तौर से पसंद किया जाता है। साथ ही हरियाली तीज, गणगौर और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों में इसकी खास अहमियत है।
हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और सिंजारा देती हैं। हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाए जाने वाले सिंजारा पर्व पर सुहागिन महिला के मायके से मेंहदी, मिठाई, फल, श्रृंगार का सामान और आभूषण के साथ-साथ खासकर घेवर-फेनी नेग के रूप में भेजने की परंपरा है।
भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन और सावन में प्रकृति की प्रचुरता का उत्सव हरियाली तीज इस साल 27 जुलाई को मनाया जाएगा और इस बार भी इस उत्सव में घेवर खास तौर से शामिल होगा। दुकानदारों का कहना है कि “अभी जो फेमस घेवर है वो मलाई वाला है और मीठा घेवर भी है फीका भी बनाते हैं हम और पनीर वाले घेवर भी हैं, बढ़िया क्वालिटी के बनाते हैं, अच्छा बिकते हैं, तीज के त्योहार की वजह से ज्यादा भीड़ भी लगती है।खूब बिक रहे हैं।”
इसके साथ ही लोगों का कहना है कि घेवर फेमस है क्योंकि सबको पसंद है। काफी सालों से दादा ने खुद ने सिखकर मेहनत करी है। अब पापा और उसको कैरी कर रहे हैं। अब मेरे भाई पापा के बच्चे हैं वो लोग, थर्ड जनरेशन कैरी कर रहे हैं और हम लोग ऑफर करते हैं, अलग-अलग तरीके के घेवर। आजकल तो थोड़ा नया ट्रेंड भी स्टार्ट हुआ है, जिसमें हम चॉकलेट, स्ट्रॉबरी घेवर भी ऑफर कर रहे हैं। उसके अलावा बेसिक रबड़ी घेवर मीठा और फीका जो हमेशा से चलता आ रहा है।”
ग्राहकों का कहना है कि “अपने राजस्थान में इसका त्योहार का बहुत चलन है घेवर का, गणगौर और तीज पर घेवर बहुत फेमस चीज है। जरूरी है लोगों को पसंद भी है और एक अलग सा टेस्ट हो जाता है मेवे की मिठाई से अलग हट के है यह।”
“राजस्थान के प्रमुख त्योहारों में से तीज एक बहुत त्योहार और महत्वपूर्ण त्योहार है, सुहागन इस दिन सोलह श्रृंगार करके तीज माता की पूजा करती है। घर में तरह-तरह के पकवान बनाते है। घेवर जो एक अपनी मिठास लेकर इस त्योहार में चार-चांद लगाता है। घेवर से तीज माता का भोग लगाया जाता है। सभी एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है, तीज पर सुहागने मेंहदी लगाती हैं, नवविवाहिता का सिंजारा दिया जाता है। तीज सुहागनों का प्रमुख और बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि “तीज का जो त्योहार है ये सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करतीं हैं और इसके पीछे एक कथा ये है कि जो माता पार्वती थीं वो शिवजी के लिए बहुत तपस्या की थी उन्होंने और उनकी तपस्या से उनसे शिव जी इतने प्रसन्न हुए कि वो उनके पति के रूप में मिले थे। तो इस दिन जो महिलाएं हैं वो सोलह श्रृंगार करती हैं और भाद्रपक्ष उसके तृतीया को मनाया जाता है ये और इसके पीछे ये है कि इस दिन मिठाइयों में घेवर खाए जाते हैं और बेटियों को सिंजारा के रूप में घेवर और इस तरह की कई पकवान दिए जाते हैं जिससे बेटियों के लंबे पति और लंबे सुहाग की कामना की जाती है मांओं द्वारा।”