Gujarat: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने द्वारका तट पर पानी के नीचे खोज शुरू की

Gujarat: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की पांच सदस्यीय टीम ने गुजरात में द्वारका के तट पर पानी के अंदर खोज शुरू कर दी है। ये खोज पानी के भीतर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एएसआई के प्रयासों का एक अहम हिस्सा है। ये खोज एएसआई की विंग (यूएडब्ल्यू) की ओर से की जा रही है, जिसे हाल ही में पुनर्जीवित किया गया है। ये विंग द्वारका और बेट द्वारका के किनारे खोज और जांच कर रही है।

संस्कृति मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक एएसआई के पांच पुरातत्वविदों की टीम का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी कर रहे हैं। टीम में उत्खनन और अन्वेषण निदेशक एचके नायक, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् अपराजिता शर्मा, पूनम विंद और राजकुमारी बारबीना भी शामिल हैं, टीम ने शुरुआती जांच के लिए गोमती क्रीक के पास एक जगह का चयन किया है।

एएसआई के एडीजी आलोक त्रिपाठी ने कहा कि “एएसआई की पानी के अंदर पुरातत्व शाखा सिलसिलेवार तरीके से जांच को आगे बढ़ाने जा रही है। पहले चरण में, हमने कुछ स्थानों की पहचान की है, जहां जल्द ही जांच शुरू की जाएगी और एक बात जो सबसे जरूरी है, वो ये है कि ये पहली बार है जब तीन महिला गोताखोर हमारी जांच में हिस्सा ले रही हैं। ये पहली बार है कि एएसआई की महिला पुरातत्वविद् जांच टीम का हिस्सा है।”

यूएडब्ल्यू 1980 के दशक से पानी के भीतर पुरातत्व अनुसंधान में सक्रिय रहा है। मंत्रालय के मुताबिक 2001 से इस विंग ने अलग-अलग जगहों जैसे बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), द्वारका (गुजरात), लोकतक झील (मणिपुर) और एलीफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) में खोज की है।

यूएडब्ल्यू के पुरातत्वविदों ने सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन और संरक्षण के लिए भारतीय नौसेना और दूसरे सरकारी संस्थानों के साथ सहयोग किया है। इससे पहले इस विंग ने 2005 से 2007 के बीच द्वारका में अपतटीय और तटीय खुदाई की थी, जिसमें मूर्तियां और पत्थर के लंगर मिले थे।

एएसआई एडीजी प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने कहा कि “एएसआई की पानी के अंदर पुरातत्व शाखा सिलसिलेवार तरीके से जांच को आगे बढ़ाने जा रही है। पहले चरण में, हमने कुछ स्थानों की पहचान की है, जहां जल्द ही जांच शुरू की जाएगी और एक बात जो सबसे जरूरी है, वो ये है कि ये पहली बार है जब तीन महिला गोताखोर हमारी जांच में हिस्सा ले रही हैं। ये पहली बार है कि एएसआई की महिला पुरातत्वविद् जांच टीम का हिस्सा है।”

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