Uttarkashi: उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ और सीमांत क्षेत्र गाजणा घाटी के 24 गांव पिछले कई वर्षों से पलायन की समस्या से जूझ रहे थे। बेरोजगारी और खेती के बंजर होने के कारण यहां के युवाओं ने बेहतर रोजगार की तलाश में गांव छोड़ना शुरू कर दिया था। इससे न केवल खेती-बाड़ी प्रभावित हुई बल्कि कई स्कूल भी छात्र संख्या घटने के कारण बंद हो गए। साथ ही, टिहरी बांध के निर्माण के कारण यहां के मुख्य मार्ग जलाशय में डूब गए, जिससे आवाजाही और संपर्क भी बाधित हो गया था। इस वजह से क्षेत्र के लोगों में निराशा छाई हुई थी।
लेकिन कोविड महामारी के दौरान इस क्षेत्र की तस्वीर बदल गई। कोरोना संकट के कारण शहरों से लोग गांव लौटने लगे। इसी बीच राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा योजना ने यहां के युवाओं को स्वरोजगार का मौका दिया। ग्रामीणों ने सरकारी मदद से सोलर प्लांट लगाना शुरू किया, जिससे ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ उनकी आय में भी सुधार हुआ। आज गाजणा घाटी में सैकड़ों सोलर प्लांट स्थापित हो चुके हैं और यह क्षेत्र ग्रीन एनर्जी का उदाहरण बन गया है।
इसके अलावा, युवाओं ने पुराने और खाली पड़े मकानों को होम स्टे के रूप में विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया। यहां आने वाले पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता और गांव की संस्कृति का आनंद ले रहे हैं। साथ ही, क्षेत्र में कीवी और ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा मिला है, जिससे गाजणा घाटी जैविक फसलों की नई बेल्ट के रूप में उभरी है। इससे ग्रामीणों की आजीविका में बड़ा बदलाव आया है और गांवों में फिर से चहल-पहल लौट आई है।
स्थानीय ग्रामीण सुभाष भट्ट और प्यारे लाल डिमरी ने बताया कि अब गांव में रोजगार के बेहतर अवसर हैं और लोग खुशी-खुशी यहां रहना पसंद करते हैं। वहीं, विधायक सुरेश चौहान ने कहा कि गाजणा घाटी का यह बदलाव पूरे उत्तराखंड के लिए मिसाल है और सरकार ऐसी योजनाओं को और बढ़ावा देगी ताकि ग्रामीण क्षेत्र और अधिक विकसित हों। पलायन की मार झेल चुके यह गांव आज न सिर्फ ग्रामीणों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गए हैं, जिसकी सराहना हो रही है।