Uttarakhand: देवभूमि में 12 दिनों तक मनाई जाती दीपावली, यह है मान्यता

Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड में दीपो का त्यौहार दीपावली 12 दिनों तक मनाई जाती है, दीपावली के 12 वें इगास के रूप में दीपावली बनाई जाती है. उत्तराखंड के कई गांवों में 12 दिनों तक अनेक कार्यक्रम आयोजित करने की परम्परा आज भी जीवित है.

उत्तराखंड के गांवों में लक्ष्मी पूजन के दिन गाय की पूजा को सर्वोपरि माना जाता है, लक्ष्मी पूजन के दिन गाय की पूजा के साथ अनेक पकवान भी गाय व बैलों की खिलाने की परम्परा आज भी जीवित है.

उत्तराखंड में दीपावली के 12 दिनों तक झूमेलू के माध्यम से खुदेड़ गीत गायें जाते हैं, इसके साथ ही खुदेड़ गीतों के माध्यम से यहाँ की सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक व पौराणिक महिमाओ व वीर पुरूषों की गाथाओं का गुणगान किया जाता है.

इगास के दिन रात्रि के समय खेत खलिहानों में भैलू खेलने की प्रतिस्पर्धा आज भी जीवित है, लोक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में महाबली भीम किसी कार्य से जंगलों में गये थे तथा लौटने के बाद भीम ने माता कुन्ती से कहा था कि मेरे हिस्से की दीपावली कहा है तो भीम के आग्रह पर माता कुन्ती द्वारा इगास दीपावली का आयोजन कर भीम के लिए अनेक पकवान बनाये थे.

इसी परम्परा के तहत उत्तराखंड में आज भी इगास दीपावली मनाने की परम्परा जीवित है तथा इगास पर्व को भी दीपावली की तर्ज पर मनाया जाता है.

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