Uttarakhand: उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गुलदार और भालुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। जंगली जानवरों के हमलों में वृद्धि से गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे शाम ढलते ही घरों से बाहर निकलने से डरते हैं। इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश में राजनीति भी तेज हो गई है। जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक के खिलाफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने हाल ही में वन मुख्यालय का घेराव किया। उनका आरोप है कि सरकार जनसुरक्षा के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक सत्यकुमार कहते हैं कि वर्ष-2011-2012 में दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के क्षेत्रों का अध्ययन किया गया। इसमें सात भालू में रेडियो कॉलर लगाया गया। इसके बाद उनके मूवमेंट को पता किया गया।
वन विभाग ने भी भालू पर अध्ययन किया था। डीएफओ चकराता वैभव कुमार कहते हैं कि वह लैंसडोन वन प्रभाग के डीएफओ थे, उस वक्त यमकेश्वर ब्लॉक में भालू के हमलोंं की घटनाएं बढ़ी थी तो उसे लेकर वर्ष-2018 में अध्ययन किया गया था। इसमें देखा गया था कि भालू के हाइबरनेशन में जाने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। वह हाइबरनेशन में जाने की जगह साल भर एक्टिव रह रहा है। इसके पीछे कम बर्फबारी, फीडिंग बिहेवियर में बदलाव समेत अन्य कारण हो सकते हैं।