Uttarakhand: उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व ने अपने ढेला रेस्क्यू सेंटर में बीमार या घायल जानवरों के इलाज के लिए एक पैथोलॉजी लैब बनाई है। अधिकारियों के मुताबिक इस लैब में आधुनिक उपकरण हैं, जिससे बचाए गए वन्यजीवों का वक्त पर इलाज करने में मदद मिलेगी।
डॉ. दुष्यंत शर्मा वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान “यह जो हमारा ढेला रेस्क्यू सेंटर है, वहां पर वन्यजीवों के लिए विशेषरूप से टाइगर, लेपर्ड और हाथी जैसे हैं, इनके लिए ब्लड एनालाइज़र, ब्लड बायोकेमिस्ट्री एनालाइज़र, यूरिन एनालाइज़र और गैस एनालाइज़र इस तरह की आधुनिक मशीन आई हैं। उपचार के दौरान कई बार हमें रक्त जांच करनी पड़ती थी तो रिपोर्ट के लिए काफी इंतजार करना पड़ता था कि जांच रिपोर्ट आए हमारे पास, उसके बाद उसे उचित इलाज मिले तो अब ये समस्या हल हो गई है।’
यह पैथोलॉजी लैब प्रयोगशाला सिर्फ़ कॉर्बेट के यहीं के वन्यजीवों के लिए ही नहीं होगी बल्कि इसमें उत्तराखंड भर के बचाव केंद्र भी जानवरों के नमूने जांच के लिए भेज सकेंगे। इस लैब से देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान या बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।
डॉ. साकेत बडोला, निदेशक, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व “यह सुविधा जो है, जो हमारा उत्तराखंड है, उसमें जितने भी रेस्क्यू सेंटर हैं, उसमें हम इसको एक्सटेंड करेंगे ताकि उनके जो भी सैंपल होंगे। उसको हम ढेला रेस्क्यू सेंटर में जांच कर सकेंगे। और प्रदेश के बाहर या अन्य स्थानों पर उसको भेजने की जरूरत नहीं होगी। देखिए पहली बार ऐसा हो रहा है कि हाई क्वालिटी और अच्छी मशीने हैं, लेटेस्ट मशीनें हैं, वो लगाई जा रही हैं यहां पर तो ये पहली बार होगा कि ये जो इस लेवल की जांच है, जो यहां पर पहले कहीं नहीं थी। वो अब हम रिज़र्व टाइगर में ही कर पाएँगे।”
अधिकारियों ने कहा कि वन्यजीव के स्वास्थ्य देखभाल और वैज्ञानिक खोज को एकीकृत करने वाली ये सुविधा उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।