Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा के चार दिवसीय मानसून सत्र का दूसरा दिन विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ा। शोर-शराबे और बार-बार स्थगित होती कार्यवाही के बीच सदन ने सभी नौ विधेयक पारित कर दिए और कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन 5315 करोड़ का अनुपूरक बजट सदन में पास हुआ, वहीं धर्मांतरण कानून को धामी सरकार ने अब और सख्त कर दिया। भराड़ीसैंण विधानसभा पटल पर उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता और विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया।
हंगामे के बीच कई विभागों के वार्षिक प्रतिवेदन पटल पर रखे जा रहे हैं, विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र डेढ़ दिन में ही खत्म कर दिया गया। इस दौरान सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक पास किया गया, जिसके बाद सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक प्राधिकरण गठित होगा। इस प्राधिकरण से मदरसों को भी मान्यता मिलने का रास्ता साफ हो गया
सदन में कागज फाड़कर उछाले-
सदन में निर्दलीय विधायक संजय डोभाल भी कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल हुए और इस दौरान कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने सदन में कागज फाड़कर उछाले।
सदन में संशोधित सख्त धर्मांतरण कानून हुआ पास
सदन में संशोधित सख्त धर्मांतरण कानून पास हुआ। सरकार ने इस कानून को और सख्त बना दिया है, जिसके तहत जबरन धर्मांतरण पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
गलत तरीके से लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए बढ़ी सजा
समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक भी सदन में पारित किया गया गलत तरीके से लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए सजा बढ़ा दी गई है।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक भी सदन में पारित
उत्तराखंड अल्पसंख्यक विधेयक भी सदन में पारित हुआ। अब सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक प्राधिकरण गठित होगा, जिससे मदरसों को भी मान्यता मिलेगी।
इस पर सीएम धामी ने बयान देते हुए कहा कि “आज विधानसभा में “उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक – 2025″ पास कर दिया गया है। अभी तक अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित थी। वहीं मदरसा शिक्षा व्यवस्था में वर्षों से केंद्रीय छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं, मिड-डे मील में गड़बड़ियां और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी जैसी गंभीर समस्याएं सामने आई थी।
इस विधेयक के लागू होने के साथ ही मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम तथा गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम 1 जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएगा। अब सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को भी पारदर्शी मान्यता प्राप्त होगी। यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगा बल्कि विद्यार्थियों के हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा। साथ ही, सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के संचालन की प्रभावी निगरानी एवं आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा। निश्चित तौर पर यह विधेयक शिक्षा को नई दिशा देने के साथ ही राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक सद्भाव को भी और सुदृढ़ करेगा।”