Uttarakhand: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से भयानक हादसा हो गया। हालांकि कुछ जानकार इसे बादल फटने की घटना नहीं मान रहे हैं ये घटना खीर गंगा नदी के बहाव क्षेत्र में हुई। तेज पानी कीचड़, पत्थर और मलबे के साथ घरों, दुकानों और स्कूल को बहा ले गया, जिससे कई लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग लापता हो गए। जम्मू के रामबन से लेकर उत्तरकाशी तक, भारत के पहाड़ी इलाकों में इस साल बादल फटने की कई घटनाएं हुई हैं। पिछले चार महीनों में अकेले उत्तराखंड में ही बादल फटने की दो बड़ी घटनाएं हुई हैं।
विशेषज्ञ इन घटनाओं के लिए जलवायु परिवर्तन और पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्यों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। इसी साल अप्रैल में जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही हुई थी। जून में उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में बादल फटने के कारण चार धाम यात्रा 24 घंटे के लिए स्थगित कर दी गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जिससे ऐसी घटनाओं बढ़ रही हैं।
जुलाई में हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में भारी बारिश और बादल फटने की कई घटनाएं हुईं। इससे भारी तबाही हुई और 100 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई। साथ ही बुनियादी ढांचे को भी बड़ा नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की बढ़ती घटनाएं चिंता की बड़ी वजह है। इनका बारीकी से अध्ययन किया जाना ज़रूरी है ताकि इनसे निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जा सके।