Uttarakhand: कल्पना बनी प्रेरणा, संभला अनंत बच्चों का उज्जवल भविष्य

Uttarakhand: उत्तराखंड के रामनगर की बेटी कल्पना पंत ने अपने समाजसेवा के अद्भुत कार्य से एक मिसाल कायम की है। बैंगलोर में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी करते हुए भी, कल्पना का दिल आज भी अपने पहाड़ के बच्चों के लिए धड़कता है। सड़क हादसों में अनाथ और आर्थिक तंगी से जूझ रहे बच्चों की मदद के लिए उन्होंने अपने पति रवि तिवारी और दोस्तों के साथ मिलकर एक नेक पहल की शुरुआत की है, जिसने प्रभावित परिवारों के लिए आशा की नई किरण जलाई है। कल्पना की यह प्रेरणादायक यात्रा एक सरल लेकिन गहन सवाल से शुरू हुई और वो सवाल था, ‘जब कोई बच्चा सड़क हादसे में अपने माता-पिता को खो देता है, तो उसका भविष्य कौन संभालेगा?’ इस सवाल ने उनके भीतर समाज सेवा का संकल्प पैदा किया। उन्होंने अपने पति और दोस्तों के साथ मिलकर अनाथ, आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया।

इस मिशन का पहला बड़ा कदम तब उठा जब अल्मोड़ा जिले के मरचूला क्षेत्र के कूपीबैंड में हुए दर्दनाक बस हादसे की खबर मिली। इस हादसे में 36 लोगों की मौत हुई, जिनमें कई बच्चे अनाथ हो गए। कल्पना और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर प्रभावित परिवारों की पहचान की और तीन बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च वहन करना शुरू किया। इन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाया गया और उनकी फीस, किताबें, ड्रेस, ट्रांसपोर्ट सहित सभी खर्चे उठाए गए। मरचूला हादसे के बाद एक साल में कल्पना की टीम ने लगभग 12 ऐसे बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया है, जिनमें कई ने अपने माता-पिता को सड़क हादसों में खोया है और कुछ आर्थिक तंगी की वजह से स्कूल नहीं जा पा रहे थे। कल्पना बताती हैं, “हमने देखा कि कई घरों में खाने तक की कमी थी। इसलिए हम न केवल पढ़ाई का खर्च उठाते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर राशन और अन्य सहायता भी देते हैं।”

कल्पना वर्तमान में बैंगलोर की एक प्राइवेट कंसल्टेंसी में कार्यरत हैं। दो छोटे बच्चों की मां होने के बावजूद, वह हर महीने अपने वेतन का एक हिस्सा समाज सेवा के लिए बचाती हैं। उनका कहना है, “हम अपनी जरूरतों और शौक पर कितना खर्च करते हैं, अगर उसका छोटा सा हिस्सा भी किसी बच्चे की पढ़ाई में लग जाए तो उसका भविष्य संवर सकता है।” अपने प्रयासों को मजबूत आधार देने के लिए कल्पना और उनकी टीम ने ‘विज़डम विंग सोसाइटी’ नामक एक एनजीओ भी रजिस्टर किया है। इस संस्था का उद्देश्य है हादसों में अनाथ हुए और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा, पालन-पोषण और मानसिक विकास में मदद करना। टीम का मानना है कि समाज के सहयोग से यह कार्य और व्यापक स्तर पर किया जा सकेगा।

समाजसेवी गणेश रावत ने कल्पना पंत के कार्य को अत्यंत प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “कल्पना जैसी युवा महिलाओं का समाज के प्रति यह समर्पण और संवेदनशीलता वास्तव में काबिले तारीफ है। वे न केवल स्वयं बच्चों की मदद कर रही हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी इस नेक कार्य में जोड़ रही हैं। यह उदाहरण सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।” कल्पना पंत कहती हैं, “बदलाव लाने के लिए बड़े पैसे नहीं, बड़ी सोच चाहिए। अगर दिल से चाहें तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।” उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि समाज सेवा का सच्चा मतलब केवल बड़ी योजनाओं से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कदमों से होता है जो जीवन बदल देते हैं।

यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सोचता है कि समाज की मदद करना केवल बड़े ही कर सकते हैं। कल्पना पंत और उनकी टीम ने साबित कर दिया है कि दिल में संवेदना और मजबूत संकल्प हो तो कोई भी बच्चा अनपढ़ नहीं रह सकता।

 

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