Uttarakhand: हर नाम की एक कहानी, उत्तराखंड के जिलों का रहस्य

Uttarakhand: उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के जिलों के नाम भी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं उत्तराखंड के प्रमुख जिलों के नामों के पीछे की दिलचस्प और विस्तृत कहानियाँ।

देहरादून (Dehradun)

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देहरादून का नाम ‘देहरा’ और ‘दून’ शब्दों से मिलकर बना है। 17वीं शताब्दी में सिख गुरु हर राय के पुत्र राम राय ने यहां अपना डेरा (शिविर) स्थापित किया था। धीरे-धीरे यह डेरा “देहरा” के नाम से जाना जाने लगा, यह शहर दून घाटी में स्थित है इसलिये इसका नाम ‘देहरादून’ रखा गया। दून शब्द का अर्थ है ‘दो पहाड़ों के बीच की घाटी’। कुल मिलाकर, इस शहर का नाम “देहरादून” गुरु राम राय के डेरे और दून घाटी के नाम के मेल से हुआ है।

हरिद्वार (Haridwar)

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हरिद्वार का नाम संस्कृत शब्दों ‘हरि’ (भगवान विष्णु) और ‘द्वार’ (दरवाजा) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘भगवान विष्णु का द्वार’। यह शहर गंगा नदी के धरती पर आने का स्थान है और हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ हर की पौड़ी घाट पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

चमोली (Chamoli)

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चमोली जिले का नाम संस्कृत शब्द “चंद्रमोली” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “वह जो अपने सिर पर चंद्रमा को धारण करता है”। यह हिंदू देवता शिव का एक प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि जिले का नाम इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है। यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। चमोली जिले में कई मंदिरों में से एक “चमोलानाथ मंदिर” विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और ऐसा माना जाता है कि जिले का नाम इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है।

पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal)

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पौड़ी गढ़वाल का नाम ‘पौड़ी’ और ‘गढ़वाल’ शब्दों से मिलकर बना है। ‘पौड़ी’ का अर्थ होता है “पहाड़ी पर बनी सीढ़ियाँ”। उत्तराखंड में “गढ़वाल” नाम से बहुत से क्षेत्र हैं। पौड़ी गढ़वाल इन क्षेत्रों में से एक है और इसकी राजधानी पौड़ी शहर है, इसलिए जिले का नाम भी पौड़ी गढ़वाल हो गया। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

रुद्रप्रयाग (Rudraprayag)

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रुद्रप्रयाग का नाम ‘रुद्र’ (भगवान शिव) और ‘प्रयाग’ (संगम) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘भगवान शिव का संगम’। यह जिला त्रिवेणी संगम के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ मंदाकिनी और अलकनंदा नदियाँ मिलती हैं।

टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal)

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टिहरी गढ़वाल का नाम ‘टिहरी’ और ‘गढ़वाल’ शब्दों से मिलकर बना है। ‘टिहरी’ का अर्थ है ‘तीर्थ’ और ‘गढ़वाल’ का अर्थ है ‘गढ़ों की भूमि’। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

उत्तरकाशी (Uttarkashi)

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उत्तरकाशी का नाम ‘उत्तर’ (उत्तर) और ‘काशी’ (वाराणसी) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उत्तर की काशी’। यह जिला अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

अल्मोड़ा (Almora)

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अल्मोड़ा का नाम ‘भिलमोर’ शब्द से लिया गया है, जो एक प्रकार की बेलपत्रीय पौधे को संदर्भित करता है। कहा जाता है कि इस पौधे का उपयोग सूर्य मंदिर के पूजा में होता था। अल्मोड़ा को पहले ‘राजपुर’ के नाम से जाना जाता था, जो चंद राजवंश के शासनकाल में प्रचलित था।

पिथौरागढ़ (Pithoragarh)

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पिथौरागढ़ का नाम दो अलग-अलग स्रोतों से आता है। एक स्रोत के अनुसार, इसका नाम “पृथ्वी गोसाई” नामक एक पीरू द्वारा निर्मित किले से लिया गया है, जिसे बाद में “पृथ्वीगढ़” कहा गया, जो समय के साथ पिथौरागढ़ बन गया। एक अन्य स्रोत बताता है कि इसका नाम राजा पिथौरा के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने इस जगह को स्थापित किया था। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

बागेश्वर (Bageshwar)

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बागेश्वर का नाम ‘बाग’ (बाघ) और ‘ईश्वर’ (भगवान) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘बाघों का भगवान’। बागेश्वर का नाम ‘व्याघ्रेश्वर’ या ‘बागीश्वर’ से आया है, जो भगवान शिव के बाघ रूप धारण करने से जुड़ा है। बाद में, यह ‘बागेश्वर’ के नाम से जाना जाने लगा। बागेश्वर उत्तराखंड राज्य में स्थित एक सुंदर शहर है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, नदियों, हिमनदों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। 

नैनीताल (Nainital)

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नैनीताल का नाम ‘नैन’ (आंख) और ‘ताल’ (झील) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘आंखों की झील’। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की आंख (नैन) गिरी थी, इसलिए इसे नैनीताल कहा जाने लगा। नैनी झील भी देवी सती की आँखों में से एक मानी जाती है, और झील के उत्तरी छोर पर नैना देवी मंदिर स्थित है।

उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar)

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उधम सिंह नगर का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह के सम्मान में रखा गया है। उधम सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए 1940 में माइकल ओ’डायर की हत्या कर दी थी। अक्टूबर 1995 में, उधम सिंह नगर को नैनीताल जिले से अलग करके एक स्वतंत्र जिले के रूप में स्थापित किया गया था, और इसे उसी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया था। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

चम्पावत (Champawat)

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चम्पावत का नाम ‘चंपा’ (एक प्रकार का फूल) और ‘वत’ (स्थान) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘चंपा के फूलों वाला स्थान’। जिले का नाम राजकुमारी चंपावती के नाम पर पड़ा है, जो राजा अर्जुन देव की पुत्री थीं, जिन्होंने ऐतिहासिक समय में इस क्षेत्र पर शासन किया था और उनकी राजधानी चंपावत थी। लोककथाओं में महाभारत काल के दौरान इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण उपस्थिति का वर्णन किया गया है। यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।

उत्तराखंड के इन जिलों के नाम न केवल उनके भौगोलिक स्थान को दर्शाते हैं, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को भी उजागर करते हैं।

 

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