Uttarakhand: पूरे देश में बढ़ते तापमान के साथ ही उत्तराखंड के हल्द्वानी में ठंडे पानी के लिए मिट्टी के बर्तनों की मांग एक बार फिर बढ़ गई है। मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के मुताबिक उनकी बिक्री में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उनके मुताबिक लोगों की दिलचस्पी ऐसे मिट्टी के बर्तनों में ज्यादा दिख रही है जिनमें नल लगे हुए हैं।
वहीं डॉक्टर मिट्टी के बर्तनों में रखे पानी को पीने के सेहत से जुड़े फायदे बताना नहीं भूलते। जैसे-जैसे पानी को ठंडा करने के प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं, मिट्टी के बर्तन पसंदीदा विकल्प बन गए हैं। माना जाता है कि ये सेहत के लिए फायदेमंद तो हैं ही, गर्मी के दौरान ताजगी का अहसास भी कराते हैं।
सुरेश, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले ने जानकारी देते हुए कहा, “जब से ये कोरोना काल चला तब से ही इस पर लोग ज्यादा पीने निकले पानी। पहले इतना नहीं पीते थे और ये घड़े का पानी जो है ज्यादा ही फायदेमंद होता है। डिमांड अच्छी आ रही है इसकी। होटल वाले हैं, प्याऊ वाले हैं और स्कूल में भी रख रहे हैं टोंटी लगाकर दे रहे हैं और सारे साइज हैं हमारे पास घड़ों के। ये नल वाले मिट्टी के घड़े भी बना रखे हैं हमने, टोंटी वाले और ये साधे वाले भी हैं। गोल्टा हो गया और ये मटके हो गए ये सब चीजें और ये नल वालों की ज्यादा डिमांड आ रही है। गोल्टा भी बिक रहा है प्याऊ के अंदर।”
डॉ. अभिषेक अग्रवाल ने बताया, “सबसे बड़ा फायदा तो ये हैं जी कि फ्रिज में पानी का जो टेंपरेचर होता है वो हमारे शरीर के लिए उपयुक्त नहीं है- वो इतना ठंडा होता है कि वो हमारे शरीर के लिए ठीक नहीं है। उससे हमारे गले में खराश, सूजन ये सब हो सकती है। मिट्टी के बर्तनों का पानी बिल्कुल सही तापमान का पानी होता है। दूसरा मिट्टी में जो खनिज होते हैं वो मिट्टी के बर्तन में घुलकर उसमें घुलते हैं, वो खनिज हमारे शरीर में ट्रेस मटेरियल की तरह होते हैं। ट्रेस मिनरल बोलते हैं, उसको वो हमारे शरीर की कई जरूरतों को जिसमें मैग्नीशियम एक प्रमुख मिनरल है वो पूरा करते हैं। जोकी फ्रिज के पानियों में नहीं मौजूद होता है।”