Uttarakhand: रामनगर के सीतावनी-भंडारपानी मार्ग पर लगाए गए हैं AI वाले कैमरे

Uttarakhand: उत्तराखंड के वन विभाग ने रामनगर वन प्रभाग में सीतावनी-भंडारपानी मार्ग पर घास के मैदान में AI वाले हाईटेक कैमरे लगाए हैं। ये इलाका हाथियों के लिए काफी मशहूर है। ये कैमरे पर्यटकों की आवाजाही को कैद करेंगे। दरअसल वन अधिकारियों की बार-बार चेतावनी के बावजूद कुछ पर्यटक जानवरों तस्वीरें लेने के लिए रुकते हैं, इससे जानवरों को परेशानी होती है। स्थानीय लोगों और प्रकृति प्रेमियों ने वन विभाग की इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे वन्यजीवों और पर्यटकों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। वन अधिकारियों के मुताबिक इस कदम का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्षों को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना है।

डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर दिगंत नायक ने कहा, “हमारा जो टेड़ा रोड है टेड़ा-भंडारपानी जो रोड है वहां पे एक ग्रासलैंड पड़ती है। वहां पे हमेशा टूरिस्ट आते रहते हैं। वहां पे रूकते हैं। वहां पे बार बार वहां पे उनको बोलने के बाद भी वहीं पे रूके रहते हैं। और या कुछ गाड़ी रोक के वहां पे साइट सीइंग करते हैं । या पार्टी करते हैं ऐसे कुछ गतिविधि चलती रहती है तो बार बार हमारे स्टॉफ जाते रहते हैं। बट वहां कंट्रोल कम हो पा रहा था तो वहां पर अभी हमने सोलार पॉवर सीसीटीवी कैमरा लगाया है। उसके साथ एक टेलीप्रामप्टर भी लगाए हैं। इसके माध्यम से अभी क्या हो रहा है जो भी वहां पे गतिविधि होती है। उसको लाइव टेलीकास्ट यहां पे होता है हमारा सेंट्रलाइज्ड सेंट्रल डीएफओ ऑफिस में और उसको 24 आवर्स हम मॉनिटर करते रहते हैं।”

सामाजिक कार्यकर्ता गणेश रावत ने कहा, “देखिए जो ग्रासलैंड है चूंकि वो एक हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जाने वाला मार्ग है। वो सार्वजनिक मार्ग है। पीडब्यू की सड़क है। और वहां पे रामनगर फारेस्ट काफी डेंस फारेस्ट वहां पे है। और टाइगर साइटिंग भी होती थी। एलीफेंट क्रॉस भी वहां से करता है। एलीफेंट कॉरीडोर में पड़ता है। तो वहां पे जो है संभावना रहती थी काफी दुर्घटना की। लेकिन अब जिस तरीके से AI कैमरे लगे हैं। और वॉरनिंग सिस्टम वहां पे डेव्लप किया गया है तो आस पास कोई खतरा होने पर लोगों को इसकी सूचना मिलगी तो कहीं न कहीं सुरक्षा चाहे वो जानवर की हो चाहे वो वहां से गुजरने वाले इंसान की हो। तो दोनों की सुरक्षा के लिए बहुत अच्छा कार्य वन विभाग द्वारा कराया गया है।”

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