Uttarakhand: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग से जुड़ी एक खास कामयाबी बुधवार को मिलने वाली है, साल 2023 में इस सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था और 41 मजदूर उसके अंदर फंस गए थे। सुरंग की खुदाई का काम पूरा होने और मुहाने पर नवनिर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर एक समारोह आयोजित किया जा रहा है, सुरंग का एक छोर सिलक्यारा मोड़ पर और दूसरा बरकोट पर स्थित है।
2023 में 17 दिनों तक बड़े पैमाने पर चले बचाव अभियान के बाद आखिरकार इसमें फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। उस वक्त सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को आज भी वो मंजर याद है।
सुरंग का हिस्सा ढहने से मजदूर बिना पानी और खाने के कई दिनों तक अंदर फंसे रहे। कई स्थानीय लोगों का मानना था कि यह बाबा बौखनाग के श्राप का नतीजा है, जिनका सुरंग के बाहर बना छोटा मंदिर निर्माण के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। बुधवार को, दोबारा बनाए गए मंदिर की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
कार्यक्रम में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, राज्य मंत्री अजय टम्टा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हो सकते हैं। साढ़े चार किलोमीटर लंबी दो लेन वाली सिल्क्यारा सुरंग के निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही चारधाम बारहमासी सड़क परियोजना एक कदम आगे बढ़ जाएगी।
मजदूरों का कहना है कि “खुशी तो है आज ब्रेकथ्रू होगा, खुशी तो हो रही है कि इतना कुछ होने के बाद आज हो रहा है ब्रेकथ्रू खुशी तो है। मैं तो उधर अंदर काम कर रहा था। जब पता चला सुबह पांच बजे के आसपास, तो ऐसा कुछ हुआ है तो इधर आकर देखा तो गिरा हुआ है पूरा बंद था। फिर तो क्या करें हम लोग कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पूरा रास्ता बंद था निकलने का फिर उधर सब लोग था, सब लोग मिलकर हम लोग एक जुट होकर हौसला बढ़ाया तो उधर रुका बाहर से भी बहुत मदद की ये लोग खाना भेजा, ऑक्सीजन भेजा तो हम लोग उधर ठीक था सब लोग। कोई दिक्कत नहीं थी ऐसी। डर तो लग रहा था फिर बाद में धीरे-धीरे ठीक हो गया एक दूसरे का हौसला बढ़ाकर।”
इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि “हमारी मांग थी कि यहां पर जो है पहले छोटा मंदिर था, तो थोड़ा जब उसको आगे ले गए तो थोड़ा घटनाएं हो गईं।घटनाएं हो गईं तो फिर मांग ये है कि मंदिर बनाया जाए यहां पर बाबा बौखनाग का भव्य दिव्य मंदिर बनाया जाए। तोड़ नहीं दिया गया था, वो यह पता हैं छोटा बना रखा था ना पूजा के लिए। तो पत्थर गिरने के कारण फिर वो अंदर कर दिया। तो अब जब थोड़ी घटनाएं हो गईं, तो ये सब बोले यार कि इससे तो नहीं होगा तब उसको जो है उसी स्थान पर लाकर के शुभ माना गया।”