Uttarakhand: जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की जीवन रेखा क्यों है रामगंगा नदी

Uttarakhand: नदियां उन इलाकों के लिए जीवन रेखा हैं, जहां से वे बहती हैं। शांत रामगंगा नदी भी इससे अलग नहीं है। ये नदी उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल जिले के दूधातोली पर्वतमाला से निकलती है। ये मरचूला के पास कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करती है और इसकी घाटियों और जंगलों से होकर बहती है। इलाके के वन्यजीव प्रेमी कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान को अच्छी तरह जानते हैं। वे बताते हैं कि वन्यजीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में रामगंगा नदी की भूमिका कितनी अहम है।

रामगंगा उत्तर प्रदेश के कन्नौज में गंगा नदी में मिल जाती है। लेकिन इससे पहले ये घने जंगलों, खुले घास के मैदानों और गहरी घाटियों से होकर बहती है, जिससे महत्वपूर्ण जलकुंड और आर्द्रभूमि बनती है जो कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की समृद्ध जैव विविधता को बनाए रखती है। रामगंगा पूरे कॉर्बेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्राथमिक जल स्रोत है। ये न सिर्फ राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों, घास के मैदानों और आर्द्रभूमि को सहारा देती है, बल्कि यहां पाए जाने वाले वन्यजीवों की भी मदद करती है। इनमें बाघ, हाथी, घड़ियाल और पक्षियों की कई प्रजातियां शामिल हैं।

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला ने कहा, “रामगंगा को अगर कॉर्बेट की लाइफलाइन कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि रामगंगा नदी कॉर्बेट के मध्य से होकर के जाती है और इस पर जो कालागढ़ का डैम बना है, जिसे कालागढ़ डैम कहा जाता है, उसका पानी भी कॉर्बेट के कई क्षेत्र हैं, उसमें भरा रहता है और ये पूरा का पूरा जो ईको-सिस्टम बनाता है, जो बहती हुई नदी और जो नदी का जो बैकवाटर जिसको हम कहते हैं, जो कि एक झील बनी हुई है, वो पूरे टाइगर रिजर्व को एक नई परिस्थितिकी तंत्र को जनरेट करती है।”

वन्यजीव प्रेमी ने कहा, “ये जो रामगंगा रिवर है ये काफी महत्वपूर्ण रिवर है क्योंकि ये पूरा जो कॉर्बेट पार्क है उसको पूरा, जितनी भी यहां वाइल्डलाइफ रहती है चाहे वो टाइगर हो जितने भी जीव-जंतु हैं सबकी ये लाइफलाइन है और सबके लिए ये बहुत जरूरी है। इसके अलावा जो प्राकृतिक सुंदरता बनी हुई है, वो रामगंगा रिवर की वजह से बनी हुई है। अगर ये रिवर न होती तो शायद इसके अंदर इतनी सुंदर वाइल्डलाइफ ये दिख नहीं पाती। ये बहुत महत्वपूर्ण रिवर है।”

“निंसदेंह ये जो है जीवनदायनी नदी है जो मध्य हिमालय क्षेत्र से बहकर एक लंबी यात्रा तय करने के बाद पार्क के अंदर प्रवेश करती है और पार्क में प्रवेश करने के बाद इसमें कई नदियां जो हैं, वो समाहित होती हैं जिसमें पेन नदी है, मकाल नदी है, सोना नदी है, ये सभी रामगंगा नदी में मिलती हैं। फिर इसी नदी में आगे जाकर एक जलाशय है जिसको रामगंगा जलाशय कहते हैं। जल ही जीवन है, वाकई वन्यजीवों के लिए जल की जो आपूर्ति है वो इस रामगंगा नदी से होती है।”

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