Uttarakhand: उत्तराखंड में मशहूर जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के ढेला बचाव केंद्र में 32 बाघ और 48 तेंदुए रखने की व्यवस्था होने जा रही है। केंद्र का विस्तार वन्यजीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अभी तक केंद्र में 10 बाघ और 10 तेंदुए ही रखे जा सकते थे।
पूरी तरह केंद्र का विस्तार होने के बाद यहां ना सिर्फ बाघों और तेंदुओं, बल्कि हाथियों, हिरणों और तरह-तरह की घायल चिड़ियों का इलाज भी मुमकिन हो सकेगा। वन्यजीव प्रेमियों और जानकारों ने बचाव केंद्र के विस्तार की योजना को मंजूरी मिलने का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इंसानों-जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष को देखते हुए ये जरूरी था।
बचाव केंद्र साल 2020 में बनाया गया था। यहां सिर्फ कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के जख्मी जानवरों और चिड़ियों का ही इलाज नहीं होता है, बल्कि उत्तराखंड के दूसरे हिस्सों से भी घायल जानवर इलाज के लिए लाए जाते हैं।
डॉ. साकेत बडोला ने कहा, “हमारा जो इसमें उद्देश्य है वो ये है कि जो ढेला रेस्क्यू सेंटर है, उसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के लिए बल्कि आस-पास के जितने भी वन्यजीव क्षेत्र हैं, चाहे वो उत्तराखंड के हो या यूपी के अंदर उनमें भी अगर कोई किसी भी वन्यजीव को किसी भी डॉक्टरी इलाज की या रेस्क्यू करने की जरूरत पड़े तो हमारा जो ढेला रेस्क्यू सेंटर है वो उस समय मददगार साबित होगा। अब इस कार्य को जैसे-जैसे बजट की उपलब्धता कराई जाती है हमको, भारत सरकार या केंद्र सरकार द्वारा ये कार्रवाई और प्रतिक्रियाएं वहां की जाएंगी।”
“जानवर बढ़ेंगे तो मानव-पशु संघर्ष की संभावना भी बढ़ेगी और कई एनिमल जो भी इंजर्ड होते हैं, कई एनिमल बीमार हो जाते हैं तो सही मायने में ऐसे रेस्क्यू सेंटर में एक उनको अच्छी पनाह मिलेगी और जो मानव वन्य जीव प्रबंधन करने में जो है सक्षम होगी।”