Uttarakhand: फल-फूल रहा है काली मिट्टी से बर्तन बनाने का कारोबार

Uttarakhand: कोविड-19 महामारी का असर औरों की तरह उत्तराखंड में नैनीताल जिले के फदेन सिंह रावत पर भी पड़ा था। हालात गंभीर थे, लेकिन रावत ने आपदा में अवसर तलाश लिया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने काली मिट्टी से बर्तन बनाने की कला सीखी।

आज की तारीख में नैनीताल जिले के छोटे से गांव में उनका कारोबार खूब फल-फूल रहा है। पर्यावरण के अनुकूल रावत के बर्तनों की मांग देश-विदेश से हो रही है। डॉक्टर इन बर्तनों को सेहत के अनुरूप बताते हैं।

महामारी के दौरान जो कोशिश दो जून की रोटी के लिए शुरू हुई थी, आज वो दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ता कारोबार बन चुकी है। फदेन सिंह रावत को फख्र है कि वे इस कारोबार की बदौलत गांव के कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

काली मिट्टी से बर्तन बनाने वाले ने कहा, “एक नैचुरल प्रोडक्ट है। इसमें खाने से या फिर इसमें चाय पीने से, पानी पीने से कोई शरीर में नुकसान नहीं है। और हेल्थ बेनिफिट्स हैं। मैं करीबन दो-तीन साल से काम कर रहा हूं। ऐसा यूनिक प्रोडक्ट होगा मेरे पास। मेरे पास किचन में जो भी बर्तन यूज होता है, कुकिंग पॉट, प्लेट और बाउल, कुछ भी खाने के लिए जितने भी बर्तन होते हैं, सब हम बनाते हैं।”

खरीदार का कहना था कि, “बहुत अच्छे बर्तन हैं। इन्होंने बहुत अच्छी क्वालिटी के बर्तन बनाए हैं। और ब्लैक पॉटरी जो है, काफी पॉपुलर हो सकती है। मैंने भी इनके कुछ बर्तन खरीदे हैं। और मैं समझता हूं कि टूरिस्ट यहां पर आते हैं। नैनीताल में, कॉर्पोरेट में, आसपास में, तो टूरिस्ट के लिए भी खास आकर्षण का केंद्र हो सकते हैं। तो इसको बढ़ावा देना चाहिए और टूरिस्ट के लिए इसमें मूर्ति भी बन सकती हैं। और भी मोमेंटोज बन सकते हैं। तो इनको और थोड़ा अपने को रिफाइन करना चाहिए।”

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