Uttarakhand: अगर आप आप नैनीताल की खूबसूरत झील में या जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कुदरती खूबसूरती के बीच सुकून से छुट्टियां मनाने की योजना बनाने के लिए पैसे देकर ऑनलाइन होटल बुक करते हैं और जब वहां पहुंचते हैं तो पता चलता है कि आप साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं। नैनीताल के होटल मालिकों ने बताया कि हाल में कई सैलानियों को साइबर ठगी का शिकार होना पड़ा है।
साइबर ठग लोकप्रिय होटलों और रिसॉर्ट की नकली वेबसाइट बनाते हैं। ये देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट जैसे लगते हैं। अक्सर सैलानी इनकी जाल में फंस जाते हैं। साइबर ठगी का असर ना सिर्फ सैलानियों पर, बल्कि होटल कारोबारियों पर भी पड़ रहा है। अक्सर ठगी के शिकार सैलानी छुट्टी मनाने की योजना रद्द कर देते हैं, वापस लौट जाते हैं और होटलों की कमाई कम हो जाती है।
अधिकारी सैलानियों से अपील कर रहे हैं कि वे प्रामाणिक वेबसाइटों से ही बुकिंग करें। साथ ही साइबर ठगों के खिलाफ कार्रवाई की भी कोशिश की जा रही है। बेशक उत्तराखंड में साइबर ठगी का जोखिम कम करने की कोशिश की जा रही हो, फिर भी अधिकारी सैलानियों और होटल मालिकों से पूरी सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं।
कॉर्बेट पार्क, रामनगर के होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष हरिमन सिंह ने कहा, “इस मामले में तो मेरे को यही कहना है कि जो लोग खास कर इतना सोशल मीडिया पे नॉलेज होने के बाद भी कुछ गलत लोगों के चंगुल में फंसते हैं तो उन लोगों को बुकिंग कराते समय थोड़ा सा ध्यान देना चाहिए। हरेक प्रॉपर्टीज के अपने-अपने नंबर वेबसाइट पे हैं। कहीं पे भी बुकिंग कराते हैं तो इसकी रिकन्फर्मेशन के लिए बिफोर पेइंग प्रॉपर्टी से कन्सर्न ले लें और कन्फर्म कर लें।”
नैनिताल के होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बिष्ट ने कहा, “साइबर फ्रॉड है। ये केवल नैनीताल या उत्तराखंड में ही नहीं, ये पूरे देश में है और इंटरनेशनली बहुत आगे जा चुका है। तो हम लोग काफी टाइम से लोगों को आगाह भी कर रहे हैं और अनेक माध्यमों से सोशल मीडिया के माध्यम से हमने आगाह किया है लोगों को, कि साइबर फ्रॉड्स के चंगुल में ना फंसें। क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्होंने हमारे जो होटल्स हैं, उनकी साइट्स, वेबसाइट्स खुद की बनाई हुई हैं और ये सब फेक, फर्जी वेबसाइट्स हैं।”
कुमाऊं के कमिश्नर दीपक रावत ने जानकारी देते हुए कहा, “देखिए, इसमें जब भी शिकायत आती है तो साइबर कम्प्लेन तो दर्ज होती ही है। हर मामले में दायर होती है। आई वुड रेक्वेस्ट, आपके माध्यम से कि जो हमारे कस्टमर्स हैं, जो यहां पे आना चाहते हैं, वे ऑथराइज्ड साइट से इसको करें। कई बार गूगल पर हम सर्च करते हैं तो जो फेक साइट है वो ऊपर दिखती है। उसपर कहीं से कोई सर्टिफाइड टैग नहीं होता है। वो मेरे हिसाब से जरूर एक बार वेरिफाई कर लें। मुझे लगता है कि ये एक तरह का प्रिकॉशन होगा। बाकी यहां पे ठगी हो जाती है। उसपे हम लोग कर रहे हैं काम।”