नमिता बिष्ट
आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की 133वीं जयंती मनाई जा रही है। पूरा देश उन्हें आज याद कर रहा है। पंडित जवाहर लाल नेहरू को बच्चो से बहुत अधिक लगाव था, बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरु कह कर बुलाते थे। इसलिए उनकी जंयती को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है।
पंडित नेहरू का था उत्तराखंड से गहरा नाता
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का उत्तराखंड से भी गहरा नाता था। वह मसूरी को अपना दूसरा घर मानते थे। अपने जीवनकाल में नेहरू कई बार मसूरी आए। यहां तक कि अपने निधन से दो दिन पहले भी नेहरू उत्तराखंड में ही थे। तबीयत खराब होने पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा था।
1946 से 1964 के बीच कई बार पहुंचे मसूरी
पंडित नेहरू सबसे पहले 1906 में मसूरी आए थे। उनको मसूरी की प्राकृतिक खूबसूरती इतनी पंसद आई कि इसके बाद उन्होंने कई बार यहां समय बिताया। नेहरू ने 1946 से 1964 के बीच कई बार मसूरी का दौरा किया था। वहीं 1959 को उन्होंने मसूरी के हैप्पीवैली स्थित बिड़ला हाउस में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा से मुलाकात कर तिब्बतियों के विस्थापन को लेकर चर्चा की थी।
देहरादून जेल में भारत एक खोज के कई अंश लिखे
स्वरतंत्रता आंदोलन के दौरान पंडित नेहरू देहरादून की जेल में 4 बार बंद रहे थे। जेल में साल 1932 से 1941 के बीच नेहर 878 दिन कैद रहे। यही जेल में उन्होंने भारत एक खोज के कई अंश लिखे थे। बता दें कि देहरादून के प्रिंस चौक के पास पुरानी जेल है। यहां पंडित जवाहर लाल नेहरू चांद की रोशनी में पुस्तक के अंश लिखते थे। यहां वह कमरा भी है, जहां वो सोया करते थे। आज भी यहां नेहरू की मेज, कुर्सी, पलंग, चादर और टेबल क्लाथ भी है। साल 1939 में उन्होंने इंदिरा गांधी के नाम नामक पत्र भी यहीं से लिखा था।
अंतिम बार सहस्रधारा में किया भोजन
पंडित जवाहर लाल नेहरू एक भारतीय उपनिवेश विरोधी राष्ट्रवादी, धर्मनिरपेक्ष मानवतावादी, सामाजिक लोकतंत्रवादी और लेखक थे। उनका जन्म 14 नवंबर 1989 को हुआ था। बता दें कि नेहरू अपने निधन से एक दिन पहले यानी 26 मई 1964 को देहरादून आए थे। तब वह सर्किट हाऊस में रुके थे। यहां से वे परिजनों के साथ सहस्रधारा गए। यहां उन्होंने स्नान किया था। लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में उन्होंने भोजन और विश्राम किया था।
पंडित जवाहर लाल नेहरू को भाता था प्राकृतिक सौंदर्य
पंडित जवाहर लाल नेहरू को दून का सर्किट हाउस जो वर्तमान में राजभवन है बहुत पसंद था। पंडित नेहरू जब भी देहरादून आते, वे यहीं रुकते थे। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध थे। यहां के सुंदर पहाड़ उनका मन मोह लेते थे। उन्होंने विजिटर बुक में 160 एकड़ भूभाग में फैले सर्किट हाउस की सुंदरता का उल्लेख भी किया है।
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