विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी एक जून को देश-विदेश के पर्यटकों के लिए खुल जाएगी। इस बार हुई बर्फबारी से फूलों की घाटी का पैदल ट्रेक क्षतिग्रस्त पड़ा है, जिसको लेकर पार्क प्रशासन के द्वारा जल्द ही दुरस्त करने का कार्य शुरु कर दिया जायेगा। फूलों की घाटी रेंज से क्षेत्र के भम्रण कर लौटी टीम ने बताया कि वामणधोड व द्वारीपूल के पास भारी तादाम में हिमखंड टूटे हुये है। जहां पर हिमखंड को काटकर रास्ता बनाया जायेगा।
फूलों का अद्भुत संसार
समुद्रतल से 12,995 फीट की ऊंचाई पर उत्ताराखंड की वादियों में फूलों का अनोखा संसार बसता है। फूलों की घाटी दुनिया में एकमात्र ऐसी घाटी है, जहां 300 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। अपनी जैव विविधता के लिए यह घाटी विश्व विख्यात है। यहां फूलों के साथ ही दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों, परिंदों व जड़ी-बूटियों का दीदार भी पर्यटक करते हैं। फूलों की घाटी 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली हुई है। वहीं यहां सीजन में हर साल देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं।
इस घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के बाद यूनेस्कोद ने 2005 में इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा दिया। फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। वर्ष 1937 में फ्रैंकस्मित ने वैली ऑफ फ्लावर नामक पुस्तक लिखकर अपने अनुभवों को दुनिया के सामने रखा