Roorkee: रुड़की सिविल अस्पताल में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है, जिससे मरीजों और अस्पताल स्टाफ में डर का माहौल है। अस्पताल परिसर में खुलेआम घूम रहे कुत्ते न केवल मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं, बल्कि डिलीवरी रूम और नवजात शिशु वार्ड में भी घुसने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे नवजातों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
डॉ. संजय कंसल, सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS), के अनुसार, अस्पताल में कुत्ते के काटने के मामलों में वृद्धि हो रही है। हाल ही में, एक दिन में 95 कुत्ते के काटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या 60-70 होती है। अस्पताल हर महीने लगभग 3,000 कुत्ते के काटने के मामलों का इलाज करता है, जिसके लिए 600 से अधिक रेबीज इंजेक्शनों की आवश्यकता होती है।
स्थानीय निवासियों और अस्पताल स्टाफ ने रुड़की नगर निगम की ओर से आवारा कुत्तों की समस्या के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया है। नगर निगम ने सलीयर में एक एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (ABC) स्थापित किया है, लेकिन वहां से केवल एक ही संस्था ने टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया है, जिससे इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन ने नगर निगम को कई बार सूचित किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोग प्रशासन से जल्द से जल्द अस्पताल परिसर को आवारा कुत्तों से मुक्त कराने की मांग कर रहे हैं, ताकि मरीज और स्टाफ सुरक्षित माहौल में अस्पताल की सुविधाओं का लाभ उठा सकें। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य संकट को बढ़ा रही है, बल्कि अस्पताल की कार्यप्रणाली और मरीजों की सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रही है।