Politics: यूसीसी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान

Politics: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पर कहा कि पहाड़ी राज्य में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मकसद किसी वर्ग को खुश करना या किसी समुदाय को दुखी करना नहीं है।

पुष्कर सिंह धामी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मूल रूप से उत्तरी राज्य के रहने वाले लोगों के स्थानीय संगठन, उत्तराखंड सांस्कृतिक संस्था के आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना बीजेपी का संकल्प था और मतदाताओं ने इस उपाय के लिए बीजेपी को अपना चुनावी समर्थन दिया है।

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिन लोगों ने तुष्टीकरण की नीति के आधार पर देश पर लंबे समय तक शासन किया, वे उत्तराखंड के आम लोगों में यूसीसी के बारे में संदेह पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू को लागू करने का उद्देश्य किसी वर्ग को खुश करना या दूसरे वर्गों को दुखी करना नहीं है। ये कोड सभी वर्गों के सशक्तीकरण के लिए लागू होगा और समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद किसी भी वर्ग का आरक्षण, वैवाहिक अधिकार, रीति-रिवाज आदि प्रभावित नहीं होंगे।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की तारीफ की और कहा कि सभी राज्यों के लोग अब ‘डबल इंजन’ को ही लाना चाहते हैं, लोग इसको ही पसंद करते हैं। सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार बेहतरीन काम कर रही है। इसके साथ ही कहा कि मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिलेगा, जिससे राज्य में ‘डबल इंजन’ सरकार बरकरार रहेगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ” समान नागरिक संहिता का कानून उत्तराखंड में लाने के लिए हमने जो कमेटी बनाई थी उस कमेटी ने अपना काम कर दिया है। वो कमेटी ने पूरा संकलन कर दिया। 20 हजार लोगों से प्रत्यक्ष उन्होंने बात की है। विभिन्न-विभिन्न धार्मिंक संगठनों और उनके गुरूओं से बात की है। आदिवासी समाज के बीच में जाकर बात की है।सबसे बात करने के बाद अब जल्द ही क्योंकि उत्तराखंड की जनता ने हमको अपना आशीर्वाद दिया था कि नई सरकार का गठन होते ही हमने उनके सामने बात रखी थी कि हम उत्तराखंड में इसको लागू करेंगे। जैसे ही हमको संकलन मिल जाता है इसको लागू करेंगे। हां कुछ लोग भ्रन्ति फैलाने का भी काम कर रहे हैं जैसा कि वो आरक्षण खत्म हो जाएगा, संस्कार की पद्धतियां बदल जाएगी। हम कोई पद्धतियां नही बदलने नहीं वाले जिसकी जैसी पद्धतियां चल रहीं हैं वो चल रही है। हमारी मात्र शक्ति को उसमें सशक्तीकरण हो मात्र शक्ति को भी एक सामान कानून उनको भी सही तरीके से जीने का हक मिले। उत्तराखंड पहले अगुवाई करने वाला है। हम उस कानून को आगे बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।”

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