Pauri: पौड़ी में सुविधाओं की कमी से पलायन को मजबूर हैं लोग

Pauri: उत्तराखंड के पौडी जिले के गांव तेजी से खाली हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजहों में रोजगार के कम मौके, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और उचित बुनियादी ढांचे की कमी है, सुविधाएं न मिलने की वजह से युवा पीढ़ी पलायन के लिए मजबूर हो रही है, पलायन की वजहों की जांच के लिए प्रवासन आयोग की स्थापना की गई थी, लेकिन इससे भी कोई खास सुधार नहीं हुआ, लोगों का कहना है कि आयोग के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर ठीक से जानकारी नहीं जुटाई।

हालांकि अधिकारियों का दावा है कि वे नियमित रूप से सरकार को रिपोर्ट सौंप रहे हैं। इस रिपोर्ट में पलायन के कारणों को बताया गया है और कैसे इसे रोका जाए इसकी सिफारिश भी की गई है, लोगों का आरोप है कि सरकार की नीतियों की वजह से पूरे उत्तराखंड से पलायन हो रहा है। वे आगाह करते हैं कि अगर जल्दी ही बुनियादी सुविधाएं और रोजगार के मुद्दे पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बहुत से गांव वीरान हो जाएंगे।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि “पलायन आयोग का यहां पर गठन किया गया था और उम्मीद की जा रही थी कि पलायन आयोग के गठन के बाद जो पलायन लगातार पहाड़ी क्षेत्रों से हो रहा है, मैं पौड़ी की बात करूं, मैं पिथौरागढ़ की बात करूं जहां पर सबसे अधिक पलायन हुआ है तो उम्मीद की गई थी कि पलायन आयोग कहीं ना कहीं अपनी एक रिपोर्ट प्रदेश सरकार को देगा जिसके बाद प्रदेश सरकार उसके ऊपर काम करेगी और क्यों गांवों से लगातार पलायन हो रहा है उस पर गंभीरता से काम किया जाएगा। मगर दुर्भाग्य देखिए कि पलायन आयोग का गठन तो यहां पर किया गया लेकिन पलायन आयोग के उपाध्यक्ष पलायन करके पौड़ी से चले गए।”

“पलायन आयोग का दफ्तर यहां पर खुला हुआ था, भले ही बाद में इसका नाम बदल दिया गया है लेकिन ये सिर्फ दफ्कर ही खुला है इसमें धरातल पर तो कुछ काम हुआ नहीं है। जबकि इन लोगों को काम ये दिया गया था कि जो उत्तराखंड से पौड़ी से जो पलायन हो रहा है उसकी आप रिपोर्ट पेश करेंगे कि क्या कारण होंगे। लेकिन इस दफ्तर से ही कभी लोग बाहर निकले नहीं हैं और ये जो अपने काम हैं जैसे ग्रामीण विकास या इन जगहों से लेते हैं और मोटा-मोटी लिख कर अपनी रिपोर्ट शासन को भेज देते हैं। तो ये सिर्फ खाना-पूर्ति के लिए दफ्तर बनाया गया है और कुछ लोगों को यहां सरकारी तनख्वाह दी जा रही है इसके अलावा इसका कोई मतलब नहीं है।”

ग्रामीण विकास और पलायन रोकथाम आयोग के अनुसंधान अधिकारी गजपाल चंदानी ने बताया कि ” सबसे ज्यादा जो पलायन हुआ है वो हमारे पौड़ी और अल्मोड़ा जिले में हुआ है। तो अल्मोड़ा और पौड़ी जिले में जो पलायन हुआ है उसको देखते हुए ये हुआ कि कैसे पलायन रोकें तो उसे रोकने के लिए हमारोे द्वारा अभी तक उत्तराखंड सरकार जो 21 रिपोर्ट हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने और पलायन को कम करने को पलायन को रिवर्स करने के लिए अपनी सिफारिशें सरकार को प्रस्तुत करदी गई हैं।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *