Pauri: ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की उत्तराखंड यूनिट ने राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के देवलगढ़ गांव में चार प्राचीन सुरंगों की खोज की है, माना जाता है कि ये सुरंगें सातवीं से 11वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के शासन के दौरान बनाई गई थीं।
देवलगढ़ माता राज राजेश्वरी मंदिर के लिए मशहूर है, वह गढ़वाल राजाओं की आराध्य देवी हैं। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, खोजी गई सुरंगों को सुधारने और उनकी मरम्मत का काम जारी है, ताकि उत्तराखंड के इतिहास को समेटे इस इलाके को नई पहचान मिल सके और बड़ी संख्या में सैलानी यहां का रूख करें।
पौड़ी क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी चंद्र सिंह चौहान ने कहा कि “उस समय में जो राजा-महाराज लोग थे अपने सैन्य सुरक्षा, समाज की सुरक्षा के लिए इन लोगों ने सुरंगे बनाई होंगी। वर्तमान समय में जब हमने देखा तो उसमें चार सुरंगे हैं। चार सुरंगें, कोई 50 मीटर लंबी है, कोई 100 मीटर लंबी है, कोई 150 मीटर लंबी है। इन सब के अलग-अलग मुहाने हैं। किसी के चार मुहाने हैं, किसी के तीन मुहाने निर्मित हैं। उसके अंदर आने-जाने के लिए सीढ़ियां भी हैं।”
माता राज राजेश्वरी मंदिर के पुजारी ने कहा कि “दरअसल यह सुरंगें जो हैं राजा अजयपाल के जमाने की खोदी गई बताई जाती हैं। राजा अजयपाल जब चंदपुरगढ़ी से यहां देवलगढ़ आए, उन्होंने देवलगढ़ को अपने लिए स्थान चुना। तो सामाजिक दृष्टिकोण से तब देवलगढ़ महत्वपूर्ण था। यहां 200 बड़ी घाटियां थी और 200 छोटी-छोटी पहाड़ियां काटकर ये घाटियां बनाई गई थी। तो आपत्ति काल में छुपने के लिए, जो है इन सुरंगों का निर्माण कराया गया था। ऐसा हमारे पुराने लोगों ने बताया था हमें।”