Nainital: उत्तराखंड की पहाड़ियों में बुरांश के फूल तय समय से पहले ही खिलने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाने वाले ये फूल आमतौर पर मार्च से मई के महीनों के दौरान दिखाई देते हैं लेकिन इस फरवरी के महीने में ही दिखाई देने लगे हैं। पर्यावरणविदों के मुताबिक फूलों के मौसम में बदलाव, हिमालयी इलाकों के ईको सिस्टम पर ग्लोबल वार्मिंग का असर है.
जानकारों के मुताबिक क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों में इस तरह के व्यवहारिक परिवर्तन, लंबे समय में ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभावों की चेतावनी है। पर्यावरणविदों का मानना है कि बुरांश के फूलों के जल्दी खिलना ग्लोबल वार्मिंग का सीधा असर है ठीक वैसे ही जैसे इस साल हिमालयी क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में देर से बर्फबारी।
पर्यावरणविदों ने कहा कि ओवरऑल जो ट्रेंड है वो गर्मी की तरफ बढ़ रहा है। तो सारे वैज्ञानिक इसकी चिंता प्रकट कर चुके हैं कि ग्लोबल वार्मिंग आ रही है और अब प्रकृति के विभिन्न रूपों में इसको प्रकट तौर पर देखा जा रहा है कि बुरांश का खिलना समय से पहले निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
वनस्पति विज्ञान के शिक्षक प्रोफेसर एस. एस. मौर्य का कहना है कि “इधर कुछ सालों में देखने में आ रहा है कि बुरांश के फूल जल्दी खिल जा रहे हैं। इसके लिए सबसे बड़ा कारण है ग्लोबल वार्मिंग है, जो ग्रीन हाउस गैसेज हैं इसका कंसंट्रेशन बढ़ रहा है। हमारे वातावरण का तापमान बढ़ रहा है। जिससे ये थोड़ा फ्लोरा फौना जो कि हैवियर है इसमें काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसमें एक है बुरांश का फूल का पहले खिल जाना।))