Nainital: 156 साल का हुआ शेरवुड कॉलेज, कई मशहूर हस्तियां रहे हैं छात्र

Nainital:  उत्तराखंड में नैनीताल की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच मशहूर शेरवुड कॉलेज को बने शुक्रवार को 156 साल हो गए। ये उत्तर भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्कूलों में एक है।

इसे 1869 में ब्रिटिश मिशनरियों ने स्थापित किया था। इसे पहले डायोसेसन बॉयज स्कूल के नाम से जाना जाता था। 1873 में इसका नाम बदलकर शेरवुड कॉलेज रखा गया, स्थापना दिवस पर शिक्षकों ने कहा कि उन्हें इस पुरानी विरासत का हिस्सा बनने पर फख्र है।

शेरवुड कॉलेज पूरी तरह आवासीय संस्थान है। यहां कोई डे-स्कॉलर नहीं है। छात्रों ने जीवन में अनुशासन की भावना विकसित करने के लिए संस्थान की तारीफ की। बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ जैसी कई नामी-गिरामी हस्तियां शेरवुड कॉलेज के छात्र रहे हैं।

ये बोर्डिंग स्कूल 45 एकड़ में फैला हुआ है। यहां औपनिवेशिक युग का आकर्षण तो है ही, विज्ञान प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर रूम, पुस्तकालय, खेल के मैदान और आवासीय छात्रावास जैसी आधुनिक सुविधाएं भी मौजूद हैं।

अमनदीप संधु, प्रिंसिपल, शेरवुड कॉलेज “75 साल में हमें बहुत गर्व है हमारी संस्थान पर। मेरे से जितने भी लोग पहले आएं हैं, इस सीट पर बैठकर संचालन किया है, कक्षाओं में पढ़ाया है, गार्ड की ड्यूटी दी है, उन सबका यह मेहनत का नतीजा है कि आज हम 156 साल के समय की कसौटी पर खरे हैं। हमारे पास 80 से ज्यादा तो शिक्षक हैं और 150 से ज्यादा सहायक कर्मचारी हैं।”

शिक्षक अनंत पाल सिंह ने कहा कि “मैं इस कॉलेज का छात्र हूं। मैंने 1974 में दाखिला लिया और 1983 में कॉलेज कैप्टन के रूप में स्नातक किया। उसके बाद मैं शेरवुड छोड़कर सेंट स्टीफंस कॉलेज चला गया। मैंने सेंट स्टीफंस से इतिहास में एम. ए. किया। फिर कानून की पढ़ाई की। मैंने कुछ सालों तक कॉर्पोरेट वकील के तौर पर काम किया,लेकिन मेरा दिल इसमें नहीं लगा। 1997 में, मैं अपने अल्मा मेटर में वापस आ गया और तब से मैं यहां पढ़ा रहा हूं। मैंने शेरवुड कॉलेज में एक संकाय सदस्य के रूप में 28 शानदार साल पूरे किए हैं और वर्तमान में, मैं एल.जे. हाउस का हाउस मास्टर हूं।”

शिक्षक ए. जी. पांडेय ने कहा कि “एक बड़ी प्रचलित कहावत है कि खरा माल खुद चमक जाता है, उसका हम एक प्रमाणित रुप में क्वालिटी हैं। लोगों का जो तैयारी और समर्पण रहा है, इन 156 सालों में, इसकी जो आधारशिला जिन लोगों ने रखी, उससे लेकर अब तक जो समय का कालचक्र गया है, उसमे एक परंपरा जीवित रही कि सिर्फ आगे बैठने वालों को मत देखो। जो आखिरी पंक्ति का छात्र हैं, वो हमारे लिए उतना ही मूल्यवान हैं जितना कि आगे बैठने वाला छात्र।”

इसके साथ ही छात्रों का कहना है कि “बहुत बढ़िया लगता है और यहां पर बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। यहां पूरा बोर्डिंग की तरह हमें रखा जाता है और पूरी घर की तरह प्यार से रखा जाता है, हमें घर की याद आती नहीं है। हमारे यहां पढ़ाई को महत्व दिया जाता है और पहली जो चीज है यहां पर हमें पढ़ाई। और उससे पहले अनुशासन सिखाया जाता है। कैसे हमें रहना होता है। और सेना की तरह यहां पर हमें सिखाया जाता है, जैसे सेना में अनुशासन मिलता है।”

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