Nainital: नैनीताल के ‘वाटर हीरो’ जंगलों और जल स्रोतों को दोबारा कर रहे ज़िंदा

Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल के जंगलों में यह खाइयां इलाके के जल निकायों को दोबारा काम में लाने के लिए सावधानी के साथ सोच समझकर तैयार की गई परियोजना के हिस्से के तौर पर खोदी गई हैं। इस पहल की अगुवाई चंदन सिंह नयाल कर रहे हैं, वह इलाके के लोगों की एक टीम के साथ मिलकर नैनीताल में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों को दोबारा जिंदा करने के लिए काम कर रहे हैं।

पर्यावरणविद् चंदन सिंह नयाल ने बताया कि “देखिए लगभग सात आठ साल हो गया हमको चाल खाल बनाते हुए और प्लांटटेशन का काम भी हम लोग पिछले कई सालों से कर रहे हैं लेकिन पहाड़ों में जिस प्रकार से लगातार जल संकट बढ़ रहा है लगातार वनाग्नि हो रही है तो उससे बचने के लिए हम लोगों ने चाल खाल शुरू किए है बनाने और ये हम लोग जो है गर्मियों के समय में और अभी बरसात से पहले इसको हम लोग बनाते हैं। ताकि बरसात में इनमें बारिश का पानी भरे और वो पानी भूमिगत हो हमारे जो जल स्त्रोत हैं, धारे हैं, नौले हैं, हमारी नदियां हैं, गधेरे हैं। वो पुर्नजीवित हों उसके लिए जो है ये कार्य हमार चल रहा है।”

उन्होंने कहा कि “लगभग 10-11 साल हो गया है पौधारोपण करते हुए हम लोगों को और आज हमारे क्षेत्र में जो हम लोगों ने एक जंगल तैयार किया है लगभग पांच से सात हेक्टेयर का उस जंगल में बहुत अच्छे बाझ के पौधे हो रहे हैं। अन्य प्रजातियों के पौधे हो रहे हैं। लगभग मेरी ऊचांई से भी जो है बड़ी ऊचांई के वो पौधे हो चुके हैं। तो हम जिस प्रकार से वनाग्नि देख रहे हैं वो इसी कारण से हो रही है कि हमारे चीण के जंगल ज्यादा हैं। तो उनको कम करने के लिए उनके बीच में जो है हम लोग “बाज के, खरसु के रियाज के हम लोग जंगल तैयार कर रहे हैं। और उनके पेड़ हम लोग लगा रहे हैं ताकि जिस प्रकार के हमारे पुराने चौड़े पत्ते के जंगल हमारे हुआ करते थे उन जंगलों को दोबारा हम लोग रिवाइव करने का काम कर रहे हैं।”

चंदन और उनकी टीम पिछले एक दशक से इस इलाके में देशी वृक्ष प्रजातियों को फिर से लगाने में जुटी है, धीरे-धीरे लेकिन लगातार की जा रही उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि ये छोटे-छोटे पौधे अब घने होते जंगलों की शक्ल ले चुके हैं। चंदन का मानना है कि इससे जंगल में आग लगने के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलेगी।

जंगलों से जलस्त्रोतों तक चंदन की कोशिशों को पहचान मिली है, नैनीताल की पहाड़ियों में पारंपरिक जल संरक्षण तरीकों को दोबारा ज़िंदा करने और उनकी देखरेख करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए हाल ही में उन्हें केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ‘वाटर हीरो’ का खिताब दिया गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में उन्हें पर्यावरण योद्धा बताया।

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