Nainital: ब्रिटिश काल में ये जगह घोड़ों का अस्तबल हुआ करती थी। हालांकि अब यहां की तस्वीर बदली-बदली दिखेगी। ये जगह अब लोगों को सीखने और जानकारी हासिल करने की दुनिया में ले जाएगी। माना जाता है कि उत्तराखंड के रामनगर वन प्रभाग के तहत आने वाले पर्यटन क्षेत्र सीतावनी में पौराणिक इतिहास हर तरफ बिखरा हुआ है। वन विभाग इस जगह पर एक ‘इंटरप्रिटेशन सेंटर’ बना रहा है। प्रभागीय वन अधिकारी बताते हैं कि इस पहल से इलाके का समृद्ध पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व दुनिया के सामने आ सकेगा।
मान्यता है कि भगवान राम की पत्नी माता सीता ने वनवास के दौरान कुछ वक्त यहां बिताया था इसीलिए इसे सीतावनी कहा जाता है। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि नया सेंटर इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। वन विभाग को उम्मीद है कि इस पहल से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और इलाके के लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
प्रभागीय वनाधिकारी दिगंत नायक ने कहा, “इसका मेन मोटिव तो यही है, यहां पर जो भी वाइल्ड लाइफ पाया जाता है उसके बारे में डिटेल्स दें और सीतावनी की जो हिस्ट्री है मायथॉलॉजिकल हिस्ट्री है उसके बारे में थोड़ा डीटेल्स दे ताकि जो टूरिस्ट आते हैं। इनको यहां पर जो इंफॉर्मेशन है उनको मिले और अगर आज देखा जाएगा तो वो जो एक इंटरप्रिटेशन सेंटर में डेवलप कर रहे हैं, वो प्राचीन काल का एक हॉर्स स्टेबल था जहां पर घोड़ों को रखा जाता था ब्रिटिश कालीन में। तो उसी को हम रेनोवेट कर के अभी आज के दिन में इंटरप्रिटेशन सेंटर के माध्यम से उसको प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें 10 लाख मिला था हमें इको टूरिज्म मद में। तो उस 10 लाख में ही सारा इंटरप्रिटेशन सेंटर को डेवलप किया जा रहा है।”
वन्यजीव प्रेमी जितेंद्र बिष्ट ने कहा, “ये तो एक बहुत अच्छी पहल है। रामनगर जो फॉरेस्ट डिवीजन है उसको बधाई के पात्र की उन्होंने जो एक अच्छा कदम उठाया क्योंकि सीतावनी जो है हमारा एक पौराणिक स्थल भी है। सीता माता का वहां कहा जाता है कि उन्होंने वहां प्रवास किया था। वाल्मीकि ऋषि का वहां पर आश्रम है और उसके साथ-साथ हमारा ये टूरिज्म जोन है सीतावनी और तो यहां पर जो पर्यटक जाएंगे उनको वहां पर अच्छी जानकारी जानने को मिलेंगी।वहां के लोगों को जो हमारे यहां के कॉर्बेट का लैंडस्केप है। उसके बारे में यहां पर पता चलेगा।”