Nainital: उत्तराखंड के रामनगर में कॉर्बेट नेशनल पार्क के अंदर नजर आते बाघ, अब ये नजारा दुर्लभ नहीं रहा। कॉर्बेट में हेरिटेज जंगल सफारी की बदौलत, अब यहां आने वालों को ज्यादा जानवर देखने को मिल रहे हैं। ये जंगल सफारी दिसंबर 2024 में शुरू की गई थी। राष्ट्रीय उद्यान के कालाढूंगी क्षेत्र में ये सफारी जिम कॉर्बेट की विरासत को दिखाती है। ये सफारी जिम कॉर्बेट में आने वालों को यहां की सभी जगहों को देखने का अनूठा मौका देती है।
यहां के गाइड बताते हैं जो लोग जंगल सफारी का मजा लेते हैं, उनके ज्यादा संख्या में जंगली जानवर और पक्षी देखने के चांस होते हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघों और दूसरे वन्यजीवों के ज्यादा दिखने की वजह बढ़ता तापमान भी हो सकता है क्योंकि जानवर पानी के लिए जल निकायों की तरफ जाते हैं। कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में नई हेरिटेज जंगल सफारी सैलानियों को एक अलग अनुभव देती है। साथ ही वन्यजीवों और पर्यावरण के संरक्षण को लेकर लोग जागरुक भी हो पाते हैं।
पर्यटक ने कहा,”हम कॉर्बेट हेरिटेज जोन में गए थे। जंगल काफी खूबसूरत है। हमने बहुत सारे एनिमल्स भी देखे और बर्ड्स भी अच्छे देखे। हमने एलिफेंट देखे, हमने जैकल देखा, हमने सर्पेंट इगल भी देखा, मोर बहुत अच्छे थे। बहुत मस्त था, हमने पीकॉक देखे, जैकेल देखा, अद्भुत था। एलिफेंट भी देखे, नेचर बहुत अच्छा मेंटेन्ड है। वॉटर बॉडीज बहुत सही है, हां बहुत एन्जॉय किया। सफारी में बहुत मजा आया। गाड़ी में बिल्कुल ज्यादा आवाज नहीं है, डिस्टर्बेंस नहीं है, एकदम पीसफुल नेचर था वहां।”
गाइड मोहन पांडे ने कहा, “हमको टाइगर भी दिखा रहा, हमको हाथी भी दिख रहे थे। इसके अलावा तीनों टाइप के डियर हम कवर कर रहे हैं स्पॉटेड डियर, सांबा डियर और वाइल्ड बोर और यहां पे जो है स्लोथ बियर के भी मार्क्स हमें देखने को मिले भालू के, इसके अलावा, बर्ड वॉचिंग बहुत अच्छी हो रही हैं यहां पे ग्रेट हॉर्नेट, वुडपेकर। इसके अलावा कॉमन ब्रीड और बुलबुल बहुत अच्छी यहां पे।”
DFO दिगंत नायक का कहाना था, “ये हमारा खासकर के जो बोअर नदी के पास जो हमारा जोन है वहां पे आजकल टाइगर का साइटिंग बढ़ गया है क्योंकि गर्मी का दिन है, तो टाइगर नेचुरली पानी की तरफ आ रहे हैं। तो यहां पे टूरिस्ट को पर्यटकों को लगातार इसका साइटिंग का चांसेज मिल रहा है। आने वाले सीजन में ये और बढ़ता जाएगा। क्योंकि आने वाले गर्मी के सीजन में बोअर नदी मेन स्रोर्स बन जाता है और जितने भी वाटर होल बने हैं, वहां पर भी साइटिंग का चांस बढ़ते जा रहा है।”