Nainital: एसिड अटैक सर्वाइवर अपने हौसले से बनीं आत्मनिर्भर

Nainital: उत्तराखंड की एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट, जिन्होंने एसिड अटैक की वजह से अपनी आंखों की रोशनी खो दी, लेकिन सपने देखना नहीं छोड़ा और अपनी मुश्किलों को ताकत में बदलकर दिखाया। कविता दूसरी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर उभरी हैं, कविता रामनगर में अपना खुद का कढ़ाई, बुनाई और हस्तशिल्प केंद्र चलाती हैं, जिसमें लगभग 50 महिलाएं काम करती हैं।

केंद्र की महिलाएं कविता को धन्यवाद देती हैं कि उन्होंने उनकी आजीविका के लिए अवसर दिया। कविता की यात्रा न केवल उनके केंद्र की महिलाओं को बल्कि रामनगर की बाकी महिलाओं को भी प्रेरित करती है। कविता अपनी जैसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स और बाकी महिलाओं को महिला दिवस पर संदेश देती हैं कि वे मजबूत रहें, बड़े सपने देखें और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर संभव कोशिश करें।

एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट ने बताया कि “2008 में मेरे साथ एसिड अटैक हुआ था, जब मैं नोएडा में जॉब कर रही थी। एसिड अटैक के बाद मेरी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी, यह मेरा पांचवा बैच है। 120 महिलाएं सीख चुकी हैं, अभी 50 महिलाएं और जुड़ी हुई हैं। यहां पर और उसमें से 25 महिलाएं रोजगार से जुड़ी हुई हैं, जो लोकल महिलाएं सूट, सलवार की सिलाई सीखने आती हैं और उनको फ्री ऑफ कॉस्ट सिखाते हैं। मेरे केंद्र, ‘कविता के घर’ में, हम महिलाओं को फ्री में सिलाई सिखाई जाती है। फ्री में इनके बच्चों को कंप्यूटर कोर्स सिखाया जाता है। जहां पर जो महिलाएं रोजगार से जुड़ी हुई हैं उनको हम कुशन सिखाते हैं और जो कपड़े के बैग हैं, स्कूल बैग और सब्जी के बैग सिखाते हैं। गोबर के दीए, गोबर की धूप और कैंडल बनाना, तो इनकी प्रति बनाई इनको जाती है। तो जो समान बिकता है तो उस पर प्रति बनाई मिलती है।”

कविता के केंद्र की वर्कर लक्ष्मी देवी ने कहा कि “कविता मैम हमको बहुत सहायता करती हैं।घर से थोड़ा काम करने के बाद हम यहां आते हैं अपना सिलाई करते हैं कढ़ाई बुनाई बहुत सिखाती हैं और सभी चीजें हम सीख चुके हैं और अब हम जॉब पर लगे हैं। कविता मैम बहुत अच्छी मैम हैं और हमें बहुत अच्छा सिखाती हैं, हम कहते हं कि जैसे हमें आगे बढ़ना है तो आप भी आगे बढ़ो हमारे साथ, यहां महिलाएं रोजगार से जुड़ी हैं। मैं भी यहां नौकरी करती हूं। महीने पर, यहां बहुत कुछ सिखाया जाता है, जैसे बैग हो गए, कुशन हो गए, साइड पर्स हो गए। गोबर के दीए हो गए, धूप हो गई। कैंडल्स हो गई और पर्स हो गई और स्कूल बैग हो गई और बहुत कुछ सिखाया जाता है।”

रामनगर कॉलेज के प्रिंसिपल एमसी पांडे ने कहा कि “कविता बिष्ट जी बहुत बड़ी प्रेरणा है पूरे समाज के लिए, क्योंकि हम सब जानते हैं कि 2008 में शायद उनके ऊपर एसिड अटैक हुआ था, बहुत छोटी उम्र थी, 18-19 साल की वो खुद थीं। उस समय पर एक बार ऐसा लगा था कि जैसे पूरा जीवन समाप्त हो गया हो। लेकिन धीरे धीरे उन्होंने आगे बढ़ते हुए और लगातार काम करते हुए आज वो इस मुकाम पर हैं कि उन्होंने ना तो अपना हौसला गिरने दिया है और साथ में बहुत सारे बच्चों को वो रोजगार का केंद्र भी बना दिया है।”

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