Nainital: दुनिया भर में 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया जा रहा है। मकसद है सांस्कृतिक प्रसार, आर्थिक विकास और वैश्विक रिश्तों को मजबूत बनाना। इस साल वर्ल्ड टूरिज्म डे की थीम है, ‘टूरिज्म एंड पीस।’ टूरिज्म के जरिये सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
लाखों सैलानियों का लोकप्रिय नैनीताल सरकार के लिए राजस्व और लोगों के लिए रोजगार का जरिया है, संयुक्त राष्ट्र ने 1980 में वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाना शुरू किया था। इसका मकसद टूरिज्म को बढ़ावा देना है।
नैनीताल आने वाले सैलानी काफी उत्साहित रहते हैं। डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म ऑफिसर अतुल भंडारी ने बताया कि 909 पंजीकृत होमस्टे और करीब 1,000 होटल और रिसॉर्ट्स की बदौलत टूरिज्म में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि सरकार ने पर्यटन से जुड़े कारोबार को सहायता देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना भी शामिल है, जो टूरिज्म गतिविधियों के लिए 33 फीसदी सब्सिडी देती है।
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष हरिमन सिंह सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने और रोजगार के मौके पैदा करने में रिसॉर्ट्स और होमस्टे पर जोर देते हैं। वे कहते हैं, “उत्तराखंड की मेजर एक्टिविटी, सोर्स ऑफ रेवेन्यू है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को, स्थानीय सरकार को रोजगार मिल रहा है। एक अच्छा पर्टयटन है। एक अच्छा कार्य है, लोगों के करने के लिए। विदेशियों को, देशियों को आकर्षित करता है। सरकार से ये रेक्वेस्ट करी थी हमने कि थोड़ा सा और कनेक्टिवीटी और रोड्स की अप्रोच बेटर दे दे, तो पर्यटन से बढ़के उत्तराखंड में और कुछ नहीं हो सकता। किसी भी उद्योग से ज्यादे हम लोग पर्यटन उद्योग को यहां पे देखते हैं।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि “आज जो है उत्तराखंड और खास तौर से नैनीताल जिला है, वो पर्यटन के मामले में सिरमौर है। इसकी मुख्य वजह है, यहां पर जो सर्किट है, चाहे हमारा नैनीताल हो, कॉर्बेट हो या अल्मोड़ा का कौसानी क्षेत्र हो, ये बहुत रमणीक स्थल हैं, जिसमें आपको सभी तरह का साहसिक पर्यटन हो, चाहे वन व्यू पर्यटन हो या शांति के लिए जो है, इधर पर्यटक आते हैं तो वो केवल एक जगह घूमने नहीं आते हैं और वो सर्किट का प्लान करके आते हैं।”
इसके साथ ही कहा कि “डिफिनिटली रिजॉर्ट्स अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे वो सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो, चाहे वो स्थानीय लोगों को रोजगार के रूप में हो, लेकिन कोरोना काल के बाद से हमने देखा कि लोग बहुत अधिक महंगे होटलों में जाकर या फिर ऐसे जो रिमोट एरिया में जाना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें शांति मिले। हर जगह बड़े होटल नहीं खुल सकते। तो मुझे लगता है कि हमारे उत्तराखंड में खूबसूरत हर जगह है। और खास तौर से आप पहाड़ी इलाकों में आप जहां भी देखें, वो घाटियां हों या हिमालय के दृश्य हों, या फिर पशु-पक्षी हों, उनके अवलोकन के लिए या शांति के लिए आजकल मेडिकल टूरिज्म भी चल रहा है।”