Joshimath: जमीन धंसने के हादसे के एक साल बाद भी हालात गंभीर, हाई रिस्क जोन में कई इलाके

Joshimath: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के हादसे के एक साल बाद भी हालात में खास सुधार नहीं हुआ है, शहर में हालात गंभीर बने हुए हैं। सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) के हाल में हुए सर्वे में शहर की 14 जगहों को हाई रिस्क जोन घोषित किया गया है, सीबीआरआई ने अपनी रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी है।

उत्तराखंड में लगातार प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। भूकंप, जमीन धंसने, बादल फटने और बाढ़ आने से राज्य को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। जोशीमठ का इंट्रीगेटेड हजार्ड जोन मैप भी बनाया गया है। सीबीआरआई ने हाई रिस्क जोन वाले इलाके की मार्केिंग की है, अधिकारी नुकसान को कम करने के लिए इलाके से लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करने पर काम कर रहे हैं।

सीबीआरआई वैज्ञानिक का कहना है कि “सीबीआरआई द्वारा पूरे जोशीमठ का गहन अध्ययन किया गया, जिसमें नौ वार्ड है जिसमें 2350 मकान है। इन एक एक मकानों का हमने अध्ययन किया तो देखा कि कुछ मकान जिसमें डैमेज नहीं है, कुछ-कुछ मकान में बहुत अधिक डैमेज है। हमने उसके हिसाब से ग्रीन, येलो, रेड और ब्लैक कैटेगरी में उसको डिवाइड किया था, उसके साथ साथ जियो टेक्निकल, जियो फिजिकल और जियोलॉजिक इनवेस्टिगेशन विभिन्न संस्थान द्वारा किया गया।”

इसके साथ ही कहा कि “यह जो मकान चिह्नित जोन में आ रहे हैं, इनको अब दो ऑप्शन प्रशासन द्वारा दिए जाएंगे। एक तो कंपनसेशन ले लें या तो दूसरा एक सेफ लोकेशन पर इनको विस्थापित करें, जहां पर एक स्मार्ट विलेज की तरह डेवलप किया जाएगा जिसमें कि सीवीआरआई ने अपना पूरा डिटेल रिपोर्ट दे दी है। यहां सभी तरह की सुविधा दी जाएगी। अभी जो सर्वे करने के बाद हमने देखा कि पिछले छह सात महीनों में दरारों में कोई बढ़ोतरी नहीं पाई गई ना भू-धंसाव में। जो हमने पिछली बार इनवेस्टिगेशन किया था उसमें हमने पाया कि माडवाड़ी, सिंगधर और मनोहरबाग इस क्षेत्र के जो मैक्सिम एरिया हैं वो हाई रिस्क जोन में आते हैं यहां पर जो हमने चिह्नित किए हैं वो मकान या तो विस्थापित करना पड़ेगा।”

 

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