Haridwar: उत्तराखंड के हरिद्वार में कुशावर्त घाट एक ऐसा स्थान है जिसके बारे में स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां उल्टी गंगा बहती है। एक स्थानीय पुजारी के मुताबिक यहां गंगा अपने सामान्य मार्ग से अलग दिशा में बहती है, इस बात का जिक्र हिंदू पौराणिक कथाओं में भी है, कुशावर्त घाट पर हिंदू अपने पूर्वजों से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए पहुंचते हैं।
तीर्थ पुरोहित शिव कुमार शर्मा ने बताया कि “यहां पर दत्तात्रेय जी ने तपस्या करी, अत्रिमुनि के अनुसुइया के पुत्र ने, तो वे संध्या पूजा कर रहे थे। तो जिस समय गंगा यहां आईं तो जो उनके आसान वगैरह थे, कुशा के आसान और दंड कमंडल को वो बहकर ले गई। भगवान की आंख खुली तो उन्होंने कहा रूक जा यही, कहां जा रही, मैं श्राप दे दूंगा। फिर वो लौट कर आई, तो वो थोड़ा आवर्त हो गया, जिससे इसका नाम पड़ गया कुशावर्त घाट। ऐसा आ रहा पानी थोड़ा-थोड़ा। दत्तात्रेय का स्थल है, ये यहां का इतिहास है।”
एक और पुजारी का कहना है कि घाट का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं के उस क्षण से लिया गया है जब गंगा मैया ऋषि दत्तात्रेय के ध्यान में बाधा डालने के बाद माफी मांगने के लिए लौटी थी।
तीर्थ पुरोहित आशीष ने कहा कि “जब ऋषि क्रोधित तो गंगा जी उनसे क्षमा मांगने के लिए, तब से ये जल ऐसे आवर्त लेता है। इसलिए इसका नाम कुशावर्त घाट है, कुशा का जो गोला ऐसे आवर्त बनाता है। तभी से गंगा जी क्षमा मांगने आई, तभी से जल आवर्त में है।”