Girija Devi Temple: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, देशभर के मंदिरों और शक्तिपीठों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का माहौल है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में नैनीताल जीले के रामनगर में स्थित गर्जिया देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा हुआ है,रामनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर कोसी नदी के बीच एक टीले पर विराजमान गर्जिया माता का मंदिर हर साल नवरात्रि पर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बनता है।
गर्जिया मंदिर के पुजारी मनोज चंद्र पांडे के अनुसार आज तड़के 3 बजकर 30 मिनट से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं, भोर होते-होते मंदिर परिसर और आसपास का इलाका भक्तों के जयकारों और भजन-कीर्तन से गूंज उठा। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है,हर कोई मां के दर्शन कर नवरात्रि के पहले दिन अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करता नजर आया।
मान्यता और धार्मिक महत्व-
गर्जिया माता को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है, मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है,यही कारण है कि उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और नेपाल से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
किवदंती है कि महाभारत काल में राजा विराट ने इस स्थान पर देवी की तपस्या की थी,तभी से इस टीले पर शक्ति की स्थापना हुई,कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे भाव से यहां मां की आराधना करता है, उसकी झोली कभी खाली नहीं लौटती।
गर्जिया माता की उत्पत्ति से जुड़ी कथा-
स्थानीय किवदंती के अनुसार हजारों साल पहले एक बड़ा मिट्टी का टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था, इस टीले पर मां गर्जिया देवी विराजमान हुईं, तभी बटुक भैरव देवता ने इस टीले को रोक दिया और इसे स्थायी बना दिया, तभी से गर्जिया माता इस स्थान पर विराजमान हैं, लोगों का विश्वास है कि गर्जिया देवी हिमालय की पुत्री हैं और मां पार्वती का दूसरा स्वरूप हैं। भक्त उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं।
सुबह से शाम तक उमड़ा आस्था का सैलाब-
आज सुबह से ही श्रद्धालु परिवार सहित मां के दर्शन करने पहुंचे,किसी ने माता के चरणों में चुनरी चढ़ाई तो किसी ने नारियल और प्रसाद अर्पित किया,कोसी नदी के तट पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को पुल से होकर गुजरना पड़ता है, यहां पहुंचते ही चारों ओर से जय मां गर्जिया और जय माता दी के नारे गूंज उठते हैं, मंदिर परिसर में सजावट भी विशेष की गई है। जगह-जगह फूलों की मालाओं और झालरों से मां का दरबार सजा है।
पर्यटन और धार्मिक आस्था का संगम-
गर्जिया मंदिर केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है,कोसी नदी के बीचोबीच टीले पर स्थित यह मंदिर दूर से देखने पर बेहद आकर्षक लगता है,नदी का कलकल बहता पानी और चारों ओर का हरियाली भरा दृश्य इसे और भी मनोहारी बना देता है,यही कारण है कि यह जगह देशी-विदेशी सैलानियों को भी खूब आकर्षित करती है।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इंतजाम-
नवरात्रि के दौरान बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर समिति ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, दर्शन के लिए विशेष मार्ग बनाए गए हैं ताकि भक्तों को कतार में अधिक देर न लगानी पड़े,साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेडिकल टीम भी तैनात की गई है।