सुनील सोनकर
मसूरी। मसूरी के पास टिहरी जनपद में जौनपुर प्रखंड के सुरकुट पर्वत पर प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मां सुरकंडा का मंदिर स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। इस मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है। यहां आने वाले किसी भी भक्त को देवी मां निराश नहीं करती। मान्यता है कि नवरात्रि व गंगा दशहरे के अवसर पर इस मंदिर में देवी के दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि के अवसर पर मां सुरकंडा में भक्तों का तांता लगा हुआ है। कई भक्त पैदल पहुंचकर मां के मंदिर के दर्शन के लिये आ रहे हैं तो कई ट्रॉली से मंदिर पहुंचकर मां सुरकंडा के दर्शन कर रहे हैं।
यहां गिरा माता सती का अंग
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किए यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिए थे। तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण के चक्कर लगा रहे थे। इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें सती का सिर इस स्थान पर गिरा था। इसलिए इस मंदिर को श्री सुरकंडा देवी मंदिर कहा जाता है। सती के शरीर भाग जिस जिस स्थान पर गिरे थे इन स्थानों को शक्ति पीठ कहा जाता है। इसका उल्लेख केदारखंड और स्कंद पुराण में मिलता है। सुरकंडा मंदिर के बारे में केदारखंड व स्कंद पुराण उल्लेख है कि राजा इंद्र ने यहां मां की आराधना कर अपना खोया हुआ साम्राज्य प्राप्त किया था।
2,750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुरकंडा माता मंदिर
नई टिहरी से 41 किलोमीटर की दूरी पर चंबा मसूरी रोड पर कद्दूखाल स्थान है जहां से लगभग 2.5 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई कर 2,750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुरकंडा माता के मंदिर तक पहुंचा जाता है। हालांकि अब यहां रोपवे शुरू हो गया है। ऊंची चोटी में स्थित होने के कारण भक्तगण इस मंदिर के समीप चोटी से चंद्रबदनी मंदिर, तुंगनाथ, चौखंबा, गौरीशंकर, नीलकंठ और दून घाटी आदि धार्मिक स्थान देख सकते हैं।