Dehradun: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहने वाले बच्चन सिंह रावत ने 13 साल पहले, साहस और दृढ़ विश्वास से प्रेरित एक फैसला किया। आज उस फैसले ने उनका जीवन बदल दिया है। उन्होंने फैसला किया कि वे दुनिया को प्राकृतिक रूप से तैयार कपड़ों से परिचित कराएंगे और पहाड़ी समुदायों के लिए रोजगार पैदा करेंगे। दृढ़ संकल्प के साथ कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद स्थानीय परंपरा, दृढ़ता और उम्मीद पर आधारित एक असाधारण सफर शुरू हुआ। रावत ने ऊन और हिमालयी पौधों जैसे कंडाली, यानी बिच्छू घास और भांग से कपड़े बनाने शुरू किए। इसके लिए चमोली के ग्रामीण कच्चा माल उपलब्ध कराते थे।
उद्यमी बच्चन सिंह रावत “ये काम करने से पहले सरकारी नौकरी करता था और सरकारी नौकरी करते-करते जिस डिपार्टमेंट में मैं था वहां पर भी हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट का काम होता था। तो उसी को देखते हुए मुझे ये काम करने का आइडिया आया था और दिल में एक तमन्ना भी थी कि मैं उत्तराखंड के लोगों को रोजगार दूं, तो मेरे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
तो इसी को देखते हुए हमने 2012 में ये काम शुरू किया, तो हम लोग खासकर ऊन और नेचुरल फाइबर में काम करते हैं। इसमें जैसे लेडीज कोट हो गया, जेंस कोट हो गए, जैकेट हो गए, वेस्ट कोट हो गया, पहाड़ी कैप हो गए। तो ऊन से जुड़े जो भी हैं तो इस प्रकार के प्रोडक्ट यहां पर तैयार करते हैं।”
हालांकि कोविड-19 महामारी ने करारा झटका दिया, ऑर्डर रुक गए। बाजार ठप पड़ गए और नुकसान बढ़ता गया। ऐसा लगा कि सालों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। लेकिन महामारी रावत के बुलंद इरादों को डिगा न सकी। आज उनके उत्पादों की मांग न सिर्फ भारत में, बल्कि सरहदों के पार दुनिया भर के बाजारों में है।
उद्यमी बच्चन सिंह रावत ने बताया कि “बीच में कोविड आने के कारण हम लोगों का काम थोड़ा धीमा पड़ा। सभी लोगों का काम उस दौरान धीमा पड़ा था। मगर धीरे-धीरे हम लोगों का काम बढ़ रहा है। लेकिन लक्ष्य वही था कि लोगों को किस प्रकार रोजगार देना है करके, तो चमोली में काफी ऊन के प्रोडक्ट का उत्पाद होता है।
तो सबसे पहले हम लोगों ने ऊनी कपड़ों का उत्पादन शुरू किया। उसके बाद नेचुरल फाइबर में जैसे- हैंप हो गया, भांग हो गया, कंडाली, तो नेटल में हम लोगों ने काम करना शुरू किया, क्योंकि नेचुरल फाइबर का देश-विदेश में काफी डिमांड है।”
बदलते फैशन ट्रेंड और कच्चे माल पर भारी-भरकम जीएसटी बड़ी चुनौती है। फिर भी, बच्चन सिंह रावत के कपड़े किफायती हैं। उनकी सोच साबित करती है कि स्थानीय आजीविका के प्रति साहस और प्रतिबद्धता पहाड़ों से भी दूर विरासत की सुगंध फैला सकती है।