Dehradun: नंदिता दास, मालिनी अवस्थी, उषा उत्थुप जैसी मशहूर हस्तियों से गुलजार हुआ देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल

Dehradun: उत्तराखंड के देहरादून में साहित्य महोत्सव के दौरान इतिहासकारों, लेखकों और फिल्मी हस्तियों की प्रस्तुतियां हुईं। कई विषयों पर चर्चा हुई, देहरादून साहित्य महोत्सव तीन दिन चला। विशाल भारद्वाज की भावपूर्ण कविताओं की गूंज से दून इंटरनेशनल स्कूल सराबोर हो उठा। सातवां देहरादून महोत्सव रविवार को संपन्न हुआ।

महोत्सव – संगीत, कला और बौद्धिकता का जीवंत मिश्रण था। शब्दों का चमत्कारी समन्वय था। और विषय था, ‘वसुधैव कुटुम्बकम: एकता के स्वर’। मशहूर इतिहासकार सैम डेलरिम्पल से लेकर प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने इन मंडपों को जिंदगी के कलात्मक रंगों से भर दिया।

फिल्म निर्माता-अभिनेत्री नंदिता दास और अभिनेता आदिल हुसैन पहली बार महोत्सव में शामिल हुए थे। उन्होंने लोगों के लिए एक साथ मिलकर गहन चिंतन करने के लिए ऐसे आयोजनों की अहमियत पर जोर दिया।

उन्होंने छोटे शहरों में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की, जहां ये प्रेरक और सार्थक हो सकते हैं, युवा और जिज्ञासु पाठकों को इंटरैक्टिव सत्रों में काफी दिलचस्पी थी। स्कूली छात्रों ने स्वयंसेवा की और दर्शकों में जोश भरा।

आयोजकों ने बताया कि देहरादून महोत्सव तेजी से लोकप्रिय हुआ है। उन्होंने आगंतुकों से और जीवंत आनंद महसूस करने का आह्वान किया। हस्तशिल्प, सजावटी सामान और किताबों से सजे स्टॉलों ने साहित्य, संस्कृति और कला के प्रति उत्साही लोगों को आकर्षित किया। उत्सव का समापन ‘भारतीय पॉप की रानी’ उषा उत्थुप के दमदार प्रदर्शन के साथ हुआ।

फिल्म निर्माता नंदिता दास ने कहा कि “मैं कल एक पैनल में थी, मेरे साथ लीना यादव और आदिल हुसैन थे। हमने स्वतंत्र सिनेमा, अपने अनुभवों, संघर्षों और आजादी से काम करने की खुशियों पर बात की। अपने विचार साझा करना और दूसरों के विचार सुनना अच्छा लगता है। आखिरकार यही इकलौता तरीका है, जिससे हम अपनी दुनिया और अपनी सोच का विस्तार कर सकते हैं, दुनिया भर में काफी पूर्वाग्रह और पक्षपात है। हमने कई तरह के बंटवारे कर रखे हैं। जब आप ऐसे महोत्सव में आते हैं, जो लोगों को एक मंच पर लाते हैं, जहां एक-दूसरे को सुनने का मौका मिलता है। इससे मुझे काफी खुशी होती है।”

इसके साथ ही देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के संस्थापक सम्रांत वीरमानी ने बताया कि “हमने 2017 में बहुत कम संख्या में, लगभग डेढ़ सौ लोगों के साथ शुरुआत की थी। आज हम लगभग 20,000 से ज्यादा दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि ये महोत्सव देहरादून शहर का है। हम उम्मीद करते हैं कि आप आएंगे, अनुभव लेंगे, सीखेंगे, यहां के लोगों से मिलेंगे, गणमान्य लोगों से मुलाकात करेंगे, लेखकों और मशहूर हस्तियों से मिलेंगे। अगले साल ये और दिलचस्प हो सकता है। हम नवंबर में फिर वापस आएंगे।”

 

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