Dehradun: उत्तराखंड के देहरादून में युवा कलाकार मशहूर चित्रकार जगमोहन बंगाणी की देखरेख में अपनी कला को निखार रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाने वाले बंगाणी अपने अनुभव को ऐसे प्रतिभाशाली युवा कलाकारों के साथ साझा करना चाहते थे, जिनका हुनर सीमित मौकों और संसाधनों की वजह से पहाड़ों तक ही सिमट कर रह जाता है।
ऐसा न हो इसी वजह से जगमोहन बंगाणी ने बंगाणी आर्ट फाउंडेशन की शुरुआत की, बंगाणी ने अपने फाउंडेशन के लिए स्पांसरशिप और फंडिंग हासिल करने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे, तब उन्होने खुद के संसाधनों का इस्तेमाल कर मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू करने का फैसला किया।
बंगाणी के करीबी लोग बताते हैं कि वे ऐसे कलाकार हैं, जो हमेशा ही युवा प्रतिभाओं को राह दिखाने के लिए बेताब रहते हैं। उनके मुताबिक इसी सोच की वजह से बंगाणी के मन में फाउंडेशन शुरू करने का विचार अपने आप आया। युवा कलाकार भी फाउंडेशन शुरू करने की बंगाणी की सोच को सराह रहे हैं। उनके मुताबिक इसने उन्हें न सिर्फ नई तकनीक सीखने का मंच दिया है बल्कि ये उन्हें अपनी कला को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का मौका देता है।
युवा कलाकारों का ये भी कहना है कि बंगाणी के मार्गदर्शन से उन्हें लीक से हटकर अपनी शैली तराशने और उसमें महारथ हासिल करने का अवसर मिलता है। जगमोहन बंगाणी को उम्मीद है कि मेंटरशिप प्रोग्राम उनके छात्रों को अपनी क्षमता पहचानने और उन्हें दुनिया में पहचान बनाने में मदद करेगा।
इसके साथ ही कहा कि “बंगाणी आर्ट फाउंडेशन खोलने का मकसद वैसे बहुत पुराना था, 2010-11 में दिमाग में आया था कि मैं अपना एक फाउंडेशन खोलूंगा और बच्चों को हेल्प करुंगा, क्योंकि आ ये रहा था, लेकिन उस समय ऐसा करने का मौका नहीं मिला था। लेकिन क्या हुआ कि 2021-22 के दौरान एक संस्था ने उद्यम वो पहाड़ के रंग नाम की एक ग्रुप चला रहे थे जिसमें बच्चों को हम मेंटर कर रहे थे तो उन्होंने मुझे आमंत्रित किया। तो उनके साथ मैने तीन कला सलाह कार्यक्रम किए अल्मोड़ा,सुनकिया और ऋषिकेश में, लेकिन 2022 में इस प्राेग्राम को बंद कर दिया।”
“बच्चों को जो भी ये मेंटरिंग प्रोग्राम हो रहे हैं ये फ्री ऑफ काॅस्ट हैं। इसमें हम किसी से भी कोई पैसा नही लेते। इसका जितना भी खर्चा होता है वो मैं अपने पास से करता हूं, क्योंकि बहुत सारे लोगो को मैंने कोशिश किया, संपर्क किया। इस बीच जो हमें कुछ फंड दे सके, लेकिन वो संपर्क का परिणाम नहीं मिला।”
कलाकार जगुना गुरुंग ने बताया कि “काफी यूनीक फेलोशिप कार्यक्रम है, जो महत्वाकांक्षी छात्रों, कलाकारों या कला के प्रति जुनूनी किसी भी व्यक्ति के लिए फेलोशिप, स्लैश, मेंटरिंग कार्यक्रम है, जो भी आर्ट के फील्ड में काम करना चाहते हैं। ये फ्री ऑफ काॅस्ट है। इनमें कोई एंट्री फीस नहीं है और फिर इवेन ये भी है कि एक फेलोशिप का, कि यहां पर ठहरने का फूड, आर्ट वगैरह खुद स्पाॅन्सर कर रहे हैं।”
“पहाड़ में प्लेटफाॅर्म को लेकर एक बड़ी कमी सी रही है हमेशा से ही, कि आर्ट को लेकर इस तरीके का प्लेटफाॅर्म मिलना बड़ा मुश्किल सा रहा है। इसलिए हमारा शायद जुड़ना सर के साथ में एक पहली पहल यही थी हमारी कि हमें कोई ऐसा प्लेटफाॅर्म उपलब्ध हो सर के माध्यम से। हमें ये पहला प्लेटफाॅर्म मिला मार्गदर्शन के माध्यम से। इसलिए तब से हम सर के साथ जुड़े हैं।”
“पहले मैने एक प्रदर्शनी की तरह यहां पर पार्ट लिया था। फ्री एंट्री थी, वहां पर किया। वहां पर प्रतिक्रिया बहुत अच्छी मिली, सर का जो स्वभाव और उनका मकसद था कि कलाकारों को एक साथ लाने का, वो बहुत अच्छा लगा। एक एक्सपोजर मिला वहां पर। मेरी पेंटिंग्स भी बिकीं तो मेरे को एक तरीके से बहुत अच्छा लगा।”
इसके साथ ही कलाकार सुगम गौड़ ने कहा कि “इस प्रोग्राम की सबसे अच्छी बात मुझे लगती है कि यहां हर छात्र को उसके अनुसार ही आगे की चीजें बताई जाती हैं। ऐसा नहीं है कि आप ये कीजिए, वो कीजिए। तो उनके काम को ही आगे लेकर जाया जाता है। जिस तकनीक या अवधारणा में वो काम कर रहे हैं, उसी को आगे भेजा जाता है, समकालीन शैली के अंतर्गत में।”