Bageshwar: ऐपण, उत्तराखंड की एक पारंपरिक लोक कला है, इसे गेरू और पिसे हुए चावल के सफेद लेप से बनाया जाता है। इसे आमतौर पर त्योहार, समारोह और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान फर्श और दीवारों पर बनाया जाता है।
कुमाऊं क्षेत्र में ये कला काफी लोकप्रिय है। महिलाएं पूजा-पाठ और त्योहार के सीजन में दीवारों, फर्श और कपड़े के टुकड़ों पर इससे सुंदर डिजाइन बनाती हैं।
उत्तराखंड के बागेश्वर की रहने वाली कंचन यादव पिछले छह साल से इस कला का अभ्यास कर रही हैं। कंचन और उनके साथ काम करने वाली महिलाएं त्योहार के मौसम में ऐपण कलाकृतियां तैयार करने में जुटी हैं।
कंचन बताती हैं कि उनकी ये पहल सिर्फ व्यावसायिक नहीं है, बल्कि वो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना चाहती है। इसके साथ ही वो उत्तराखंड की महिलाओं को रोजगार के अवसर देना चाहती हैं।
ऐपण कलाकार कंचन यादव ने बताया कि “मैं ऐपण कला के क्षेत्र में 2019 से काम कर रही हूं। मेरा साथ बहुत सारी महिलाएं भी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। मैंने जनशिक्षण संस्थान के माध्यम से, उद्योग विभाग के माध्यम से महिलाओं को इसकी ट्रेनिगं दी ऐपण आर्ट की। पहले से ऐपण आर्ट गेरू और विश्वास से बनाए जाते थे। धीरे-धीरे इसका प्रचलन बढ़ गया है, तो इसे पेंट से और कलर के कपड़ों पर और पेंट से बर्तनों पर और दीवारों पर बनाया जा रहा है।”
इसके साथ ही कहा कि “ऐपण कला में अभी तो करवा चौथ आ रहा है, तो उसके लिए भी मैंने 20-25 सेट महिलाओं के बनाए थे, जो मेरे पास ऑर्डर आए थे। कुछ महिलाएं जो मेरे साथ में काम करती हैं उनसे भी बहुत सारे प्रोडक्ट बनवाए थे। दीपावली में कलश, लौटा, थाली, मंदिर और चीजें भी बन रही हैं और ऐपण कला पहले देहरी और घर तक सीमित थी। लेकिन धीरे-धीरे ये देहरी से लेकर संसद भवन की दीवारों तक है। तो मेरा भी इसको बढ़ाने का एक प्रयास मैं कर रही हूं अपने क्षेत्र में।”