Almora: अल्मोड़ा में हाथ से बने तांबे के बर्तनों के कारोबार में मंदी, कारीगर परेशान

Almora: उत्तराखंड में अल्मोड़ा के टम्टा में तांबा कारीगर परेशान हैं, उनका कारोबार लगातार गिरता जा रहा है। एक समय में टम्टा घड़े, मग और गिलास जैसे तांबे के ऊंची गुणवत्ता वाले सामानों के लिए मशहूर था, इनपर हाथ से कारीगरी की जाती थी। कारीगरों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से हाथ से बने तांबे के पारंपरिक सामानों की मांग काफी घट गई है, कारीगर गिरावट की कई वजह बताते हैं, जैसे सरकारी मदद की कमी और युवा पीढ़ी में इस शिल्प को लेकर बेरुखी।

एक कारीगर ने कहा कि यही सिलसिला जारी रहा तो सदियों पुरानी तांबा शिल्प की परंपरा जल्द ही खत्म हो जाएगी, यहां के नेता भी कारीगरों की चिंताओं से सहमत हैं। उन्हें भी डर है कि 15वीं सदी से चली आ रही कला जल्द विलुप्त हो सकती है। हालांकि कुछ तांबा व्यापारियों को हालात बदलने की उम्मीद है, एक व्यापारी ने बताया कि खास कर कोविड महामारी के बाद तांबे के गुणों को देखते हुए इस धातु के बर्तनों की मांग बढ़ी है। कारीगरों और व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकारी मदद और आम लोगों में तांबे के प्रति बढ़ती जागरूकता की बदौलत उनका कारोबार फिर परवान चढ़ेगा।

कारीगर नवीन ने कहा कि “पहले तो यहां चालीस-पचास मवास काम करते थे। मुश्किल से अब दस-बारह बचे हैं वो भी जब तक हम हैं, काम है, उसके बाद नई पीढ़ी सीख नहीं रही, सरकार कोई मदद करती नहीं। कुछ मदद हो तो नई पीढ़ी को सिखाएं। अब वैसे तो नहीं सिखा सकते न, हमारे पास तांबा होगा, कुछ होगा तब सिखाएंगे। सरकार कुछ करती नहीं है, खाली कहते हैं ये करेंगे, वो करेंगे करते नहीं।”

अल्मोडा विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि “जिस ताम्र उद्योग को यहां के जो हमारे हस्तशिल्पी हैं, जो ताम्र के माध्यम से फौले बनाते हैं, चाहे वो उसके लिए फिल्टर बनाते हैं, या अन्य चीजें बनाते हैं। आज उसकी मांग, पूरे राष्ट्रीय स्तर पर बहुत मांग होती थी और बहुत यहां से आयातित होता था लेकिन कुछ समय से देख रहे हैं कि वो निरंतर उसमें कमी आयी है, तो कहीं न कहीं मैं मानता हूं कि कहीं न कहीं हमारे ताम्र उद्योग से जुड़े हुए हमारे कारीगर हैं, हस्तशिल्पी हैं, उनके उन्नयन के लिए, उनको प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कोई ठोस दीर्घकालीन योजना बनानी चाहिए और उसके लिए प्रयास करना चाहिए कि कहीं न कहीं ये विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है।”

तांबा कारोबारी संजीव अग्रवाल ने बताया कि “अब जो है समय के हिसाब से चीजें बदल रही हैं और धीरे-धीरे बीच में ये कारोबार कम होते चला गया लेकिन लॉक डाउन के बाद लोगों की इसके प्रति जागरूकता बढ़ी।लोग तांबे, पीतल, कांसे और तांबे पर ध्यान दे रहे हैं और अब इसका माल लोग देश-विदेश में पसंद कर रहे हैं। पहले से तो थोड़ा-बहुत कारोबार तांबे का यहां पर कम हुआ है।”

नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी ने कहा कि “ताम्र उद्योग मैं समझता हूं जब से अल्मोड़ा शहर की स्थापना हुई है, पंद्रहवीं शताब्दी में तभी से ताम्र उद्योग यहां पर चल रहा है और यहां पर ये भी माना गया है कि अल्मोड़ा में भी तांबे की खाने कुछ स्थानों पर थीं लेकिन धीरे-धीरे ये उद्योग समाप्त प्राय हो रहा है।”

 

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