Varanasi: जैसे ही तापमान गिरना शुरू होता है, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मलइयो की मांग बढ़ जाती है। दरअसल मलइयो एक खास तरह की मिठाई है, जो काशी में सिर्फ सर्दियों के दौरान मिलती है। लोग बढ़ी बेसब्री से ठंड के दिनों इसका आनंद लेने के लिए यहां आते हैं।
मलइयो को दूध और ओंस की बूंदों से बनाया जाता है। इसमें केसर, पिस्ता और इलायची जैसी सुगंधित चीजें भी डाली जाती हैं, जो इसके स्वाद को और बढ़ा देती हैं। कुल्लड़ या टेराकोटा कप में परोसी जाने वाली मलइयो का इतिहास बहुत पुराना है। दुकानदारों का कहना है कि उन्हें उनके पूर्वजों से ये विरासत में मिली है।
मलइयो स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का खजाना है। इसके कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं, मिठाई खाने के बाद बर्तन में बचे केसर के मीठे दूध को लोग बड़े शौक से पीते हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि “स्वाद तो इसका बहुत अच्छा है, हमने ये सुना है कि सर्दियों में हमारे यहां ही मिलता है। बचपन से ही हम खा रहे हैं, काफी प्रसिद्ध दुकान है ये। बराबर हम लोग खाते हैं। मलइयो का इंतजार बहुत पहले से यहां सबको रहता है औऱ यहां की ये बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध चीज है। जो भी तीर्थयात्री आते हैं इसकी तलाश में आते हैं और इसको खाते हैं। इसका स्वाद भी अद्भुत है और बहुत टेस्टी होता है। बड़ी मेहनत से बड़ी प्रक्रिया से बनाया जाता है। ये और कहीं नहीं मिलता है, जो बनारस में मिलता है, बनारस जैसी मलइयो कहीं नहीं है।’
इसके साथ ही दुकानदारों का कहना है कि हमारे ठंडे के मौसम में बनता है दो तीन महीने के लिए बनता है और ये जो है नेचुरल से गिरता है ऊपर से उसी से ये दूध ठंड होता है टेरिस पर हम लोग इसको रखते हैं उसी से ये दूध ठंडा होता है और दूध ठंडा होने के बाद सुबह में हम लोग इसको उतार के लाते हैं और दूध में इलाइची, केसर, रबड़ी मलाई का लिक्विड बनाकर के इसको फेटते हैं तो ये तैयार होता है सर, और उसके बाद ये दो तीन महीने के बाद स्टॉप हो जाता है, यानी की बंद हो जाता है।”