Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सूर्य षष्ठी के मौके पर सूर्योदय होते ही सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र लोलार्क कुंड में स्नान किया, भक्ति भावना और आस्था के साथ देश भर से आए लोगों ने सुबह-सुबह इस कुंड में पवित्र डुबकी लगाई। ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में ये कुंड उस जगह पर बना है, जहां कभी सूर्य देवता के रथ का एक पहिया गिरा था।
माना जाता है कि इस कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाने से निसंतान दंपतियों की गोद भरती है और लाइलाज बीमारी से पीड़ित लोगों को आराम मिलता है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि यह पावन स्नान हिंदू माह भाद्रपद के छठे दिन आयोजित होता है और इस दिन कुंड के किनारे लोलार्क मेले का भी आयोजन होता हैं। यहां के लोगों का कहना है कि इसी जगह पर भगवान सूर्य ने तपस्या की थी और एक अनोखा पूर्वमुखी शिवलिंग स्थापित किया था, जो दुनिया में स्थापित दूसरे शिवलिंगों से अलग है।
पुजारी राजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि “यह आदिकाल से सतयुग से ये सूर्य कुंड प्रकट हुआ है, सूर्य भगवान के रथ का एक पहिया गिरने से और उसके बाद फिर वो यहां हजारों वर्ष तक तपस्ता किए हैं। उसके बाद उन्होंने ये शिवलिंग यहां स्थापित किया, जो पूर्व की तरफ है। विश्व में ये ऐसा शिवलिंग है ,जो आपको कहीं नहीं मिलेगा। सूर्य भगवान ने इस शिवलिंग को वचनबद्ध करके स्थापित किया है कि जो कोई यहां स्नान करेगा और आपसे जो मांग करेगा और मन्नत करेगा, उसको वो आप पूरा करेंगे।”
नीतू निषाद, समिति सदस्य “यहां हर साल भाद्रपद माह की सूर्य षष्ठी को लोलार्क मेला मनाया जाता है। यहां पर जिन लोगों को संतान की प्राप्ति न हो, या चर्म रोग या कुष्ठ रोग हो, वो यहां पवित्र स्नान करने आते हैं। इसके बाद उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उसके लिए हर साल बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिस दौरान भक्त पवित्र स्नान करते हैं और संतान प्राप्ति करते हैं।”
लोलार्क कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए वाराणसी प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। एडीसीपी सरवरन टी ने कहा कि “आज कई राज्यों से, जिलों से यहां लोग स्नान करने के लिए आए हैं। उनकी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए वाराणसी कमिश्नरेट ने पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया है और खास ड्यूटी लगाई है। इसमें पीएसई की एक कंपनी और 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती शामिल है। इसके अतिरिक्त, जल पुलिस और एनडीआरएफ की ड्यूटी भी लगाई गई है।”
भाद्रपद माह के छठे दिन सूर्य षष्ठी पर लोग पास की किसी नदी, नहर या जलाशय में उगते सूर्य को अर्ध्य देते हैं, स्नान करते हैं और अपनी मनोकामना के लिए आराधना करते हैं।