Varanasi: उत्तर भारत के ऊपरी इलाकों में लगातार तेज बारिश से हिमालय से निकलने वाली नदियां उफन रही हैं। इनमें गंगा नदी भी शामिल है, वाराणसी में गंगा किनारे के घाट डूब गए हैं।
इससे मृतकों के अंतिम संस्कार से जुड़ी रस्मों में परेशानी आ रही है, वाराणसी हिंदुओं के सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। यहां दूर-दूर से लोग अपनों के शव लेकर दाह संस्कार के लिए आते हैं।
उनका कहना है कि इस साल गंगा के बढ़ते स्तर की वजह से दाह संस्कार में देरी और परेशानी हो रही है। कई घाट या तो डूब गए हैं, या वहां तक जाना खतरनाक है।
घाट के कर्मचारियों का कहना है कि गंगा का स्तर बढ़ने से रोजाना होने वाले दाह संस्कारों की संख्या में काफी कमी आई है। इस काम में काफी देरी भी हो रही है। पवित्र गंगा में पानी लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि अंतिम संस्कार करने वालों को भारी परेशानी हो रही है।
लोगों को उम्मीद है कि नदी का स्तर जल्द कम होना शुरू हो जाएगा और सदियों पुरानी परंपरा फिर से रफ्तार पकड़ लेगी। श्मशान घाट के कर्मचारी राकेश चौधरी ने कहा कि “गंगा जी के बढ़ने से कम हो गया है, बहुत कम डेड बॉडी है। 10-15 मुश्किल से आ रहा है।
श्मशान घाट कर्मचारी दीपू चौधरी ने कहा कि “बहुत दिक्कत है, अभी बढ़ते-बढते बहुत ज्यादा पानी आ जाएगा तो ऊपर चलेगा अभी। गंगा का जलस्तर लगभग 20 फीट बढ़ चुका है। शवदाह में दिक्कत क्या आती है, शवदाह का जगह थोड़ा सा कम हो जाता है क्योंकि गंगा का जलस्तर जब ऊपर होता है, तो जो शवदाह का जगह होती है वो पानी में डूब जाती है। जहां 50 मुर्दा जलता है, वहां 10-20 मुर्दा कम जलने लगता है। 30 जलने लगता है।”